सवालों से लड़कर, सँवरता गया हूँ
विवादों से भिड़कर, उभरता गया हूँ
सुमन खुद ही खुशबू में, तब्दील होकर
सरे-वादियों में, महकता गया हूँ
यूँ दुनिया से लड़ना, कठिन काम यारो
है खुद को बदलना, हरएक शाम यारो
मेरी जो भी फितरत, ये दुनिया भी वैसी,
हो कोशिश कभी, न हों बदनाम यारो
नया सीख लेने की, हरदम ललक है
कहीं पर जमीं तो, कहीं पर फलक है
मगर दूसरों की, तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा, तो खुद की झलक है
कहूँ सच अगर तो, वे मुँहजोर कहते
अगर चुप रहूँ तो, वे कमजोर कहते
मगर जिन्दगी ने ही, लड़ना सिखाया,
है सच की लड़ाई, जिसे शोर कहते
विवादों से भिड़कर, उभरता गया हूँ
सुमन खुद ही खुशबू में, तब्दील होकर
सरे-वादियों में, महकता गया हूँ
यूँ दुनिया से लड़ना, कठिन काम यारो
है खुद को बदलना, हरएक शाम यारो
मेरी जो भी फितरत, ये दुनिया भी वैसी,
हो कोशिश कभी, न हों बदनाम यारो
नया सीख लेने की, हरदम ललक है
कहीं पर जमीं तो, कहीं पर फलक है
मगर दूसरों की, तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा, तो खुद की झलक है
कहूँ सच अगर तो, वे मुँहजोर कहते
अगर चुप रहूँ तो, वे कमजोर कहते
मगर जिन्दगी ने ही, लड़ना सिखाया,
है सच की लड़ाई, जिसे शोर कहते
24 comments:
its so true...
नया सीख लेने की हरदम ललक है।
कहीं पर जमीं तो कहीं पर फलक है।
मगर दूसरों की तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा तो खुद की झलक है।।
waah ..........satya ka aaina dikhati kavita.........bahut hi sundar.
http://vandana-zindagi.blogspot.com
sach ki ladaai ladne waalo ko meraa salaam.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
कहूँ सच अगर तो वे मुँहजोर कहते।
अगर चुप रहूँ तो वे कमजोर कहते।
मगर जिन्दगी ने ही लड़ना सिखाया,
है सच की लड़ाई जिसे शोर कहते।।
बहुत सुन्दर!
ये पंक्तियां तो लाजवाब हैं -
नया सीख लेने की हरदम ललक है।
कहीं पर जमीं तो कहीं पर फलक है।
मगर दूसरों की तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा तो खुद की झलक है।।
कहूँ सच अगर तो वे मुँहजोर कहते।
अगर चुप रहूँ तो वे कमजोर कहते।
बहुत सुंदर.
नया सीख लेने की हरदम ललक है।
कहीं पर जमीं तो कहीं पर फलक है।
मगर दूसरों की तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा तो खुद की झलक है।।
-वाह! क्या बात है.
नया सीख लेने की हरदम ललक है।
कहीं पर जमीं तो कहीं पर फलक है।
मगर दूसरों की तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा तो खुद की झलक है।।
bahut khoob.
suman ji aajkal humse naarajgi chal rahi hai kya? aapka koi comment hio nahi aaata ....
sach ki ladayi yahi hai kya
behad sarthak or sunder abhivyakti ....
हार्दिक घन्यवाद सहित आप सब के प्रति विनम्र आभार प्रेषित है। स्नेह बनाये रखें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
श्यामल जी
सदा सुखी रहो
आपके गीत हो गज़ल,हास्य,लेख हो या व्यंग्य - सब में एक खास आकर्षणः है आप बहुत अच्छा लिखते हैं सभी बहुत चाव से पढ़तीं हूँ और शब्दों में सम्वेदनाएं निकलती हैं. आप निरंतर सफलता पूर्वक लिखते रहें मेरी आपको अनन्त शुभ कामनाएं
कृपया हिंदी की गलती पर नहीं हसे हिंदी नहीं आती
धन्यवाद
आपकी गुड्डो दादी चिकागो से
कई बार पढ़ चुकी हूँ,पर इस रचना के मधुर रस से बाहर निकलने का मन ही नहीं कर रहा....
जीवन को सीख और दिशा देती कैसी अद्भुद रचना आपने लिख डाली भाई जी...वाह...
यह जितना जीवन दर्शन सिखाती हैं उतना ही काव्य कला पक्ष यह भी सिखा रही है कि सुन्दर भावों का अद्भुद नियोजन शब्दों में कैसे किया जाता है...
सवालों से लड़कर सँवरता गया हूँ।
विवादों से भिड़कर उभरता गया हूँ।
सुमन खुद ही खुशबू में तब्दील होकर
सरेवादियों में महकता गया हूँ।।
Ekse badhke ek!
सवालों से लड़कर सँवरता गया हूँ।
विवादों से भिड़कर उभरता गया हूँ।
सुमन खुद ही खुशबू में तब्दील होकर
सरेवादियों में महकता गया हूँ।।
श्यामल जी अद्भुत लाजवाब और प्रेरना देती स्कारात्मक रचना है बहुत बहुत बधाई
सवालों से लड़कर सँवरता गया हूँ।
विवादों से भिड़कर उभरता गया हूँ।
सुमन खुद ही खुशबू में तब्दील होकर
सरेवादियों में महकता गया हूँ।।
वैह शामल जी बहुत सुंदर अभिव्यक्ती ।
सुमन खुद ही खुशबू में तब्दील होकर
सरेवादियों में महकता गया हूँ।।
कहूँ सच अगर तो वे मुँहजोर कहते।
अगर चुप रहूँ तो वे कमजोर कहते।
मगर जिन्दगी ने ही लड़ना सिखाया,
है सच की लड़ाई जिसे शोर कहते।।
यथार्थ से परिपूर्ण । अति सुन्दर।
यूँ दुनिया से लड़ना कठिन काम यारो।
है खुद को बदलना हरएक शाम यारो।
मेरी जो भी फितरत ये दुनिया भी वैसी,
हो कोशिश कभी न हों बदनाम यारो।।
बिल्कुल सही लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर रचना! बधाई!
नया सीख लेने की हरदम ललक है।
कहीं पर जमीं तो कहीं पर फलक है।
मगर दूसरों की तरफ है निगाहें,
जो दर्पण को देखा तो खुद की झलक है।।
वाह वाह क्या बात कही है सुमनजी ......लाज़वाब रचना , सदा की तरह !!
bahut sunder bhav aur utanee hee sunder abhivykti................
utkrusht krutee..........
लाज़वाब रचना...
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