Wednesday, August 1, 2012

यह अनुपम त्योहार

आस लिए मन में बहुत, बहन मिलेगी आज।
मिला पत्र न आऊँगी, उसे बहुत हैं काज।।

बहन सामने हो अगर, तब राखी अनमोल।
सुन्दर टीका भाल पे, और प्यार के बोल।।

ईश्वर के इन्साफ पर, कभी कभी है क्रोध।
बहन सहोदर ना मिली, यह जब होता बोध।।

भ्रात-बहिन के प्यार का, यह अनुपम त्योहार।
मिल ना पाते हैं कई, हो कर के लाचार।।

आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर।
राखी के दिन क्यों भला, भ्रात-बहिन से दूर।।

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बन्धन का त्योहार है..

गुड्डोदादी said...

dadi - seconds ago - Friends
omment On:मनोरमा
"यह अनुपम त्योहार"

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आस लिए मन में बहुत, बहन मिलेगी आज।
मिला पत्र न आऊँगी, आगे बहुत हैं काज।।

बहन सामने हो अगर, तब राखी अनमोल।
सुन्दर टीका माथ में, और प्यार के बोल।।

ईश्वर के इन्साफ पर, कभी कभी है क्रोध।
बहन सहोदर न मिली, होता यह भी बोध।।

भाइ बहन के प्यार का, यह अनुपम त्योहार।
मिल ना पाते हैं कई, हो कर के लाचार।।

आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर।
राखी के दिन क्यों भला, भाइ बहन से दूर।।


माता पिता कहते थे
काकी भाई की कलाई सजा आज है राखी
बहुत हूँ दूर राखी बांधने पर मजबूर

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर
राखी के दिन क्यों भला, भाइ बहन से दूर,,,,

बहुत सुंदर पंक्तियाँ ,,,बधाई,,,,

रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर............
पर्व की शुभकामनाएं.

अनु

Coral said...

बहुत सुन्दर

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