Friday, January 18, 2013

मेरे जीने की रफ्तार कम तो नहीं

मौत आती है आने  दे डर है किसे, 
मेरे  जीने की रफ्तार कम तो नहीं
बाँटने  से  कभी  प्यार घटता नहीं, 
माप लेना तू सौ बार कम तो नहीं

               गम  छुपाने  की तरकीब का है चलन, 
               लोग   परदे   लगाते  हैं   मुस्कान  की
               पार  गम  के  उतर  वक्त  से  जूझकर, 
               कहीं हिम्मत पे अधिकार कम तो नहीं

कल भी वश में नहीं था न कल आएगा, 
हर  किसी  के  लिए  आज अनमोल है
आज  रोते  मिले   कई  कल  के  लिए, 
उनके चिन्तन का आधार कम तो नहीं

               लोग  धरती  पे आते हैं रिश्तों के सँग, 
               और  बनाते  हैं   रिश्ते  कई  उम्र  भर
               टूट  जाते   कई  उनमे  क्यों   सोचना, 
               कहीं आपस का व्यापार कम तो नहीं

जिन्दगी होश में है तो सब कुछ सही, 
बोझ  माना  तो  हर पल रुलाती हमे
ये समझकर अगर तू न समझा सुमन, 
कहीं खुशियों का संसार कम तो नहीं

8 comments:

गुड्डोदादी said...

था कहाँ कल भी वश में ना कल आएगा, हर किसी के लिए आज अनमोल है
कई रोते मिले आज, कल के लिए, उनके चिन्तन का आधार कम तो नहीं

उत्साहित शिक्षा प्रद
जी ले जो भी है यही इक पल है

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

ANULATA RAJ NAIR said...

बेहतरीन ग़ज़ल....

अनु

प्रवीण पाण्डेय said...

जितनी भी हैं और जो भी हैं, ये खुशियाँ सारी अपनी हैं।

Sunil Kumar said...

लोग धरती पे आते हैं रिश्तों के सँग, और बनाते हैं रिश्ते कई उम्र भर
टूट जाते कई उनमे क्यों सोचना, कहीं आपस का व्यापार कम तो नहीं
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल .......

Kusum Thakur said...

जीने की रफ्तार कम होना भी नहीं चाहिये.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जिन्दगी होश में है तो सब कुछ सही

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