Thursday, October 3, 2013

हँसता है रावण

लाखों रावण जले देश में फिर भी हँसता है रावण
मारो जितना, नहीं मरूँगा गर्व से कहता है रावण

मेरी कितनी ऊँचाई है जा कर पुतलों में देखो
हारोगे ही चूँकि सबके दिल में बसता है रावण

एक बार सीता को हरने वेश धरा था साधु का
वैसे ही अब संत-वेश में घर घर ठगता है रावण

देश के नायक आमलोग और देश-प्रेम की बात करे
मगर खुलासा होने पर वो सचमुच दिखता है रावण

रोता है यह सुमन देखकर कैसे हैं हालात अभी
अपनी खूबी को पन्नों में देखो लिखता है रावण

8 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

Nice post.

उन्होंने Ramayan के बारे में जो कुछ समझ लिया है। वह सब सही नहीं है।
उन्हें Ramayan के बारे में शोध करने का बहुत ज़्यादा समय भी नहीं मिल पाया। जो जानकारियां आज हमें उपलब्ध हैं। वह उन्हें अपने ज़माने में सुलभ नहीं थीं। उनकी मेहनत को सामने रखते हुए हमें भी अपने हिस्से की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए। हमारी कोशिश का मक़सद यही है।
Please see:
क्या वेद 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हज़ार साल से ज़्यादा पुराने हैं?

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत ही सुंदर कमाल की प्रस्तुति.!बधाई

RECENT POST : पाँच दोहे,

कालीपद "प्रसाद" said...

सुन्दर प्रस्तुति !
नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान

Asha Joglekar said...

सच मुच हरेक के दिल में बसते रावण को मारने की जरूरत है और हथियार भी हमें ही ढूढना है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

These are hard times.

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 07/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

प्रवीण पाण्डेय said...

हर मन में घर कर जाता है,
बस एक पुतला मर जाता है।

विनोद कुमार पांडेय said...

वाकई रावण तो मर गया पर उसके विचारों पर चलने वाले अब भी बहुत हैं । सच्ची दशहरा तो तभी है जब पूरी तरह से असत्य और अन्याय का विनाश हो जाये ।

सुन्दर रचना के लिए साधुवाद ।

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