कहते खुद को ख्वाजा साहिब
भुगत रहे खमियाजा साहिब
लोकतंत्र में ताकत जन से
भरम तुझे, हम राजा साहिब
गोली, गली, भेद - भाव के
व्यर्थ बजाते बाजा साहिब
खूब उड़े जब प्यार मिला तो
अब तो नीचे आ जा साहिब
दूर हुए हैं लोग आपसे
क्या इसका अंदाजा साहिब
चाल ढाल को ना बदले तो
बंद सभी दरवाजा साहिब
सुमन पुराने तेरे नारे
और गढ़ों कुछ ताजा साहिब
भुगत रहे खमियाजा साहिब
लोकतंत्र में ताकत जन से
भरम तुझे, हम राजा साहिब
गोली, गली, भेद - भाव के
व्यर्थ बजाते बाजा साहिब
खूब उड़े जब प्यार मिला तो
अब तो नीचे आ जा साहिब
दूर हुए हैं लोग आपसे
क्या इसका अंदाजा साहिब
चाल ढाल को ना बदले तो
बंद सभी दरवाजा साहिब
सुमन पुराने तेरे नारे
और गढ़ों कुछ ताजा साहिब
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