Thursday, February 13, 2020

आकाश मिल गया

मर मर के जी रहे हैं कई लोग साथियों
जी भर के पी रहे हैं कई लोग साथियों
जीवन के सफर में कभी जो आसमां फटे
उसको भी सी रहे हैं कई लोग साथियों

लड़ते हैं कई लोग यहां प्यार की खातिर
जीते हैं लोग कितने तकरार की खातिर
खुशियां समेटकर के हालात को देखो
रोते हैं लोग कितने सरकार की खातिर

अंगुली की खूबसूरती, श्रृंगार अंगूठी
पहना दे एक दूजे को तो प्यार अंगूठी
कहते अगर है बचना शनि के प्रभाव से
घोड़े की नाल से बनी स्वीकार अंगूठी

कितनों को ज़िन्दगी में आकाश मिल गया
अज्ञानियों को ज्ञान का परकाश मिल गया
करते रहे हैं काम सुमन चार दशक से
उससे खुशी खुशी अब अवकाश मिल गया

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