Tuesday, March 12, 2024

दिन में सौ सौ बार

हम   आँखों   से  देखते,  जग  के  कारोबार।
मगर  देखता  जग  हमें, दिन  में  सौ सौ बार।।

बंजर  दिल  में  तब  खुशी, होती  है  आबाद।
अगर  अचानक  हो  कहीं, आँखों से सम्वाद।।

खेल  रहीं  रुखसार  पे,  लटें  अदा ले खास।
ऑंखें गहरी झील सी , काजल बिना उदास।।

जीवन  भर  हम  देखते, जीवन के नव-रूप।
दूर  छाँव  से  जिन्दगी,  अपने   हिस्से   धूप।। 

प्रेम  परस्पर  दान  है,  इसमें  क्या  अहसान?
आँखों  के  अहसास  में, रिश्तों  का  विज्ञान।।

दूभर  हो  रोटी  जहाँ,  वहाँ   सिखाते   योग।
पानी  आँखों  में  नहीं,  कौन  करे  सहयोग??

जाँच परखकर ही रखो, दुखती  रग पे हाथ।
शेष आँख में लाज तो, चलो सुमन के साथ।।

Saturday, March 9, 2024

अभी ऋतुराज आया है

पथिक जैसे  भटकता  मन, कहीं आधार मिल जाए
सभी  की  जिन्दगी  को  इक, नया संसार मिल जाए
नहीं मुमकिन हुआ अबतक, मगर आशा अभी बाकी 
भले  झूठा  सही  लेकिन, किसी का प्यार मिल जाए

दिखा के  शान आपस में, अदावत क्यों किया करते
हमेशा  एक  दूजे  की, शिकायत  क्यों  किया  करते
अजब दुनिया है जिनके साथ, जीते हम यहाँ अक्सर
उसी  को  छोड  दूजे  से, मुहब्बत  क्यों  किया करते

जताया  तुमने  मुझ  पे  जो, वही  विश्वास  काफी है
तुम्हारे  साथ  बीते  पल  का, हर  एहसास  काफी है
मनाने  रूठने  का  भी  मजा, होता  अलग   लेकिन
मिला  है  जख्म  तुमसे पर, तुम्हीं से  आस काफी है

कभी  आता  नहीं  है  कल,  हमेशा  आज  आया है
खुशी का तब ठिकाना क्या, अगर  हमराज आया है
किया  श्रृंगार   धरती   ने,  लताएँ,  पेड,  पर्वत  सँग,
ये मंजर और  सुमन कहता, अभी ऋतुराज आया है

बन जा मरहम भोले बाबा

निकल रहा दम भोले बाबा 
दुख कर दे कम भोले बाबा 

राह दिखाओ कैसे निकलें 
उलझन से हम भोले बाबा 

सब तेरी सन्तान मगर क्यों 
ज्यादे को गम भोले बाबा 

लोगों का हक छीने उनको 
कर  दो  बेदम  भोले बाबा 

लगे लोग जो राज-काज में
बहुत  बेरहम  भोले  बाबा 

क्यें सबकी आँखें से बहतीं 
गंगा - जमजम भोले बाबा 

सुमन सहित सारे लोगों के
बन जा मरहम भोले बाबा 

मानवता का मीत राम है

हर  रावण  पे  जीत राम है 
मानवता  का  मीत  राम है 

नित्य आचरण व्यवहारों में
जीवन  का  संगीत  राम  है 

नफरत  के  बाजारों  में भी
सबके  दिल  में प्रीत राम है

मिल्लत से आपस में जीना 
यह  सामाजिक रीत राम है

नित रावण  से  लड़े लड़ाई 
लेकिन  यार अजीत राम है

राह मिली जीने की सुन के
जीवन  का  वो गीत राम है

धरा गगन या सुमन डाल पे
सच  पूछो  मनमीत  राम है 

Thursday, February 29, 2024

सच्चा लिक्खो कलम बचाओ

लोकतंत्र की शरम बचाओ 
सच्चा लिक्खो कलम बचाओ 

लोक-लाज भी जब संकट में 
सब के सब हैं गरम बचाओ 

सभी धरम के मान बराबर 
मानवता का धरम बचाओ 

अन्न मुफ्त का खाओ लेकिन 
मत काहिल बन करम बचाओ 

शासक हुए नकारे जब जब 
वो शासन कर खतम बचाओ 

हर हालत में जीना लड़ के 
जीने का ये इलम बचाओ 

साजन-सजनी सुमन बाद में 
अभी वतन को बलम बचाओ 
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