गति असीम है मानव मन की, प्रतिभा की कोई माप नहीं।
सब कुछ मिल सकता जीवन में, पद-क्रम का हो ज्ञान सही।।
आशा का संबल हो जब तक, निर्गम राह सुगम हो जाता।
और निराशा की परछांई, जीवन में नित क्लेश बढाता।।
हीन-ग्रंथि से ही जीवन में, जन्म निराशा ले लेती है।
वैचारिक उद्घोष प्रबल हो ,तो नैसर्गिक सुख देती है।।
कर हिम्मत पग कोई बढाता, नूतन-क्रांति घटित होती है।
उसी क्रांति से इस जीवन की, दिशा-दशा निश्चित होती है।।
वर्तमान में हर्षित रहना ही, जीने की सूक्ष्म-कला है।
गत-आगत की सोच में लगता, जीवन एक बला है।।
खुशियों की भरमार जगत में, दृष्टिकोण का फर्क चाहिए।
जीवन-मूल्य को निर्मित करने, सार्थकता का तर्क चाहिए।।
जीवन-कार्य का तटस्थ भाव से, जो अवलोकन करता है।
अहं-भाव परिसीमित होता, साक्षी-भाव भी बढता है।।
आत्म-तुष्ट मुस्कान-युक्त, चेहरे वाले कम मिलते हैं।
सृजनशीलता की क्यारी में, सुमन सभी सुन्दर खिलते हैं।।
सब कुछ मिल सकता जीवन में, पद-क्रम का हो ज्ञान सही।।
आशा का संबल हो जब तक, निर्गम राह सुगम हो जाता।
और निराशा की परछांई, जीवन में नित क्लेश बढाता।।
हीन-ग्रंथि से ही जीवन में, जन्म निराशा ले लेती है।
वैचारिक उद्घोष प्रबल हो ,तो नैसर्गिक सुख देती है।।
कर हिम्मत पग कोई बढाता, नूतन-क्रांति घटित होती है।
उसी क्रांति से इस जीवन की, दिशा-दशा निश्चित होती है।।
वर्तमान में हर्षित रहना ही, जीने की सूक्ष्म-कला है।
गत-आगत की सोच में लगता, जीवन एक बला है।।
खुशियों की भरमार जगत में, दृष्टिकोण का फर्क चाहिए।
जीवन-मूल्य को निर्मित करने, सार्थकता का तर्क चाहिए।।
जीवन-कार्य का तटस्थ भाव से, जो अवलोकन करता है।
अहं-भाव परिसीमित होता, साक्षी-भाव भी बढता है।।
आत्म-तुष्ट मुस्कान-युक्त, चेहरे वाले कम मिलते हैं।
सृजनशीलता की क्यारी में, सुमन सभी सुन्दर खिलते हैं।।
17 comments:
खुशियों की भरमार जगत में, दृष्टिकोण का फर्क चाहिए।
जीवन-मूल्य स्थापित करने, सार्थकता का तर्क चाहिए।।
वाह...वा..नमन है आपको ऐसी रचना देने पर...शब्द शब्द में आपने सकारात्मकता की बात कही है...विलक्षण लेखन है आप का..बहुत बहुत बहुत बधाई इतनी अच्छी रचना देने पर...
नीरज
आशा का संबल हो जब तक, निर्गम राह सुगम हो जाता।
और निराशा की परछांई, जीवन में नित क्लेश बढाता।।
एकदम सत्य कहा आपने.
जीवन में स्फूर्ति उमंग भरने वाली,राह दिखने वाली बहुत ही सुंदर रचना है.
आशा का संबल हो जब तक, निर्गम राह सुगम हो जाता।
और निराशा की परछांई, जीवन में नित क्लेश बढाता।।
bahot badhiya, dhnyabad
प्रिय सुमन जी -कामना है आपकी ये रचना अनेक साहित्यकारों द्बारा सराही जाए /बास्तव में तो ये कविता है ही नही =यह जीवन जीने की कला है =आर्ट ऑफ़ लिविग है [[रविशंकरजी का नही ]] "" वर्तमान में हर्षित रहना या वर्तमान से हर्षित रहना ""वर्तमान जो भी दे रहा जैसा भी दे रहा है खुशी से स्वीकारो /जो लोग दुःख को बाहर रोकने अपने चारों तरफ दीवार खड़ी कर लेते है उनका सुख भी बाहर ही रुक कर रह जाता है / आपने एक बहुत अच्छी बात कही है ""आत्म तुष्ट मुस्कान युक्त चेहरा ""शब्दों के चयन में कमाल किया गया है / एक दिन इसी काम केलिए छुट्टी मनाओ /बाज़ार निकलो आदमियों को देखो और गिनो / ५०० आदमियों में चार आदमियों के चेहरे पर भी मुस्कान नहीं मिलेगी /फिर आत्म तुष्ट युक्त का तो प्रश्न ही नहीं है /हाँ एक बात जरूर ==आत्मतुष्ट युक्त मुस्कान मैंने देखी है और मैं देखता हूँ ==आ प के -चे ह रे ==पर
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ "" कृपा बनाए रखें /
मै भी ब्रज मोहन जी से सहमत हूँ । बहुत आशावादी भाव हैं कविता में जो जीने का उत्साह बढाते हैं ।
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""
बहुत ही अच्छा व प्रेरणाप्रद लिखा है.
महेश
http://popularindia.blogspot.com
आत्म-तुष्ट मुस्कान-युक्त, चेहरे वाले कम मिलते हैं।
सृजनशीलता की क्यारी में, सुमन सभी सुन्दर खिलते हैं।।
bahut sunder rachan
regards
बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती
"आत्म-तुष्ट मुस्कान-युक्त, चेहरे वाले कम मिलते हैं।"
बहुत अच्छे !
bahut achchhi aur sundar kavita hai.
http://therajniti.blogspot.com/
हीन-ग्रंथि से ही जीवन में, जन्म निराशा ले लेती है।
वैचारिक उद्घोष प्रबल हो ,तो नैसर्गिक सुख देती है।।
... बहुत ही प्रभावशाली रचना है।
अति सुंदर
आरी को काटने के लिए सूत की तलवार???
पोस्ट सबमिट की है। कृपया गौर फरमाइएगा... -महेश
जीवंत चक्र!
बढि़या
आरी को काटने के लिए सूत की तलवार???
पोस्ट सबमिट की है। कृपया गौर फरमाइएगा... -महेश
jeevan chakar se bahut mushkil se nikal saka
atyant sundr
जीवन एक सपना
किसे कहूँ अपना
जीवन से की बातें
भूलूं कैसे मुलाकाते
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