गौतम बुद्ध के देश में, बुद्धू बन गए लोग।
महावीर की नगरी फिर भी, लोग आज डरपोक।
लोग आज डरपोक, कृष्ण का चक्र-सुदर्शन छूटा।
राम नाम सत हुआ राम का, भक्त ने राम को लूटा।
कहे सुमन समुझाय, आज के राजा हो गए कंस।
सच्चे संग अन्याय बहुत, पर आस न छोडो हंस।।
महावीर की नगरी फिर भी, लोग आज डरपोक।
लोग आज डरपोक, कृष्ण का चक्र-सुदर्शन छूटा।
राम नाम सत हुआ राम का, भक्त ने राम को लूटा।
कहे सुमन समुझाय, आज के राजा हो गए कंस।
सच्चे संग अन्याय बहुत, पर आस न छोडो हंस।।
6 comments:
गौतम बुद्ध के देश में, बुद्धू बन गए लोग।
महावीर की नगरी फिर भी, लोग बने डरपोक।
लोग बने डरपोक, कृष्ण का चक्र-सुदर्शन छूटा।
राम नाम सत हुआ राम का, भक्त ने राम को लूटा।
" very well said'
regards
भई वाह !
हंस बचेगा तभी तो आस रखेगा, आजकल तो कौवे भी नदारद हैं।
बहुत खूब लिखा है आपने
"महावीर की नगरी फिर भी, लोग बने डरपोक"
लगता है महावीर की तरह लोगों को भी
अपनी शक्ति से पहचान कराने का समय आ गया है
जागो भारत वासियों जागो
Kundli chhand thoda or dhyaan maang raha hai.
baharhaal achhi soch
badhai
वाह...
बहुत बढ़िया..
सादर
अनु
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