मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है
जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है
जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर
लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है
हौसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया
जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है
ख्वाब से हटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी
दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है
जब सुमन को है जरूरत बागबां के प्यार की
मिल गया तो सच में उसकी मेहरबानी और है
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रचना में विस्तार
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अन्ध-भक्ति है रोग
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गन्दा फिर तालाब
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मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ अक्सर लो...
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लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते लेकिन बात कहाँ कम करते गंगा - गंगा पहले अब तो गंगा, यमुना, जमजम करते विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
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विश्व की महान कलाकृतियाँ-
17 comments:
रचना बहुत सुन्दर है।बधाई स्वीकारें। लेकिन बहुत महँगी पड़ी है यह रचना आपको।जानकर अफसोस हुआ।
श्यामल ji
आपकी महँगी ग़ज़ल के शेर vakai 6 hazaar से ज्यादा vajni हैं
सुन्दर रचना है
आपके नुकसान को जानकर तकलीफ हुई ... पर गजल बहुत अच्छी बनी है ... बधाई दूं या अफसोस जाहिर करूं।
nuksan ka jankar afsos huaa.sundar rachna likhi ..sachmuch mulyawaan.
हौंसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया।
जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है।।
ख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी।
दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है।।
gazal ke liye to wah wah hi nikalti hai,bahut khoob sher ek se badhkar ek.hamari nazar men to ye anmol hain. nuksan ke liye dukh hua.
हौंसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया।
जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है।।
bahut khoob
Tees hajaree court suna tha..aaj tees hajaree rachna padh lee.
Sundar.
nuksaan ka dard sah gaye.
dard mein bhi kavita kah gaye.
chor ko kosh kar khud ko masos kar
fir bhi aap apne aap mein rah gaye.
badhai ho rachna ke liye.
आप सबको मेरा हार्दिक आभार। आपकी टिप्पणियाँ मेरे कलम की उर्जा है।
प्रेम भाई के लिए कहना चाहूँगा कि-
आपकी त्वरित पँक्तियों को पढ़कर।
भावनाओं में बिल्कुल हम बह गए।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bhut acchi rachna
इतने मँहगे शेर देखे आज पहली बार हम ,
उम्दा है यह ठौर और इसकी कहानी और है !
Ati Sundar
इतनी मंहगी रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद.
मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी लिखने के लिए धन्यवाद .आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी .
बहुत सुंदर बंधू ,कवि इसी लिए रचनाकार है क्योंकि वह व्यक्तिगत हानि को गंभीर रचना में badal देता है
मेरी हार्दिक शुभकामनायें
सादर डॉ.भूपेन्द्र
aapki gazal ka har sher lajawab hai .
dukh hua jankar ki itna nuksan ho gaya.
भाव भरी रचना हार्दिक बधाई ... जय हो
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