Sunday, May 3, 2009

मिलन

मिलन हुआ था जो कल सपन में, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा
तेरे सामने दफन हुआ दिल, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

लटों को मुख से झटक रही हो, हवा के संग जो मटक रही है
हँसी से बिजली छिटक रही है, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

फ़लक को देखा पलक उठा के, तुम्हारी सूरत की वो झलक है
झुकी नजर की छुपी चमक को, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

निहारता हूँ मैं खुद को जब भी, तेरा ही चेहरा उभर के आता
ये आइने की खुली बग़ावत, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

मिलकर सागर में मिट जाना, सारी नदियों की चाहत है
मिलन सुमन का तड़प भ्रमर की, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

27 comments:

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया अच्छी रचना . बधाई श्यामल जी

Vinay said...

श्यामल जी सचमुच कमाल रचना है

---
तख़लीक़-ए-नज़रचाँद, बादल और शाम

Unknown said...

sumanji, behatareen... aafareen,
bahut achhi rachna...JAI HO

संगीता पुरी said...

बहुत कमाल की रचना है .. बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

फ़लक को देखा पलक उठा के, तुम्हारी सूरत की वो झलक है।
झुकी नजर की छुपी चमक को, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा

shyaamal ji
aapne to vo sab kuch dekh liya jo kavi की kalam dekh leti है.............sundar rschna है...........aapki paarkhi nazar se

Chandan Kumar Jha said...

बहुत कुछ दिखाया आपने इस रचना से . बहुत सुन्दर. बधाई.

गुलमोहर का फूल

रश्मि प्रभा... said...

मिलकर सागर में मिट जाना, सारी नदियों की चाहत है।
मिलन सुमन का तड़प भ्रमर की, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।। bahut khoob

रंजू भाटिया said...

मिलकर सागर में मिट जाना, सारी नदियों की चाहत है।

बहुत खूब .अच्छा लगा आपका लिखा पढना शुक्रिया

श्यामल सुमन said...

कलम को उर्जा मिल गयी मिला आपका प्यार।
बना रहा गर यही स्नेह तो लिखें गीत हजार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Yogesh Verma Swapn said...

मिलकर सागर में मिट जाना, सारी नदियों की चाहत है।
मिलन सुमन का तड़प भ्रमर की, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।

behatareen rachna. wah.

प्रिया said...

ये आइने की खुली बग़ावत, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।

aaine ne bagawat kar di ye to kamaal hai . congrates !

Randhir Singh Suman said...

aap ki tippadi k liye dhanyvaad .
age bhi utsah badhate rahiye.

aise hi lekh padhne k liye loksangharsha.blogspot.com par aaiye aur apne vichar dijiye.
hum aap k aabhaari rahenge .
dhanyvaad

suman
loksangharsha.blogspot.com

Manish Kumar said...

लटों को मुख से झटक रही हो, हवा के संग जो मटक रही है।
हँसी से बिजली छिटक रही है, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।

बहुत खूब..कल तो झारखंड का आसमान कुछ ऍसे ही दृश्य दिखा गया।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अरे भईया हमने भी देखा.....और महसूस भी किया....अब भी महसूस ही रहे हैं भाई......इस बात पर आपको बधाई......!!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

लटों को मुख से झटक रही हो, हवा के संग जो मटक रही है।
हँसी से बिजली छिटक रही है, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।
WAAH/ kyaa baat he/
bahut khoob

Prem Farukhabadi said...

श्यामल जी,
बहुत अच्छी रचना . बधाई.

निहारता हूँ मैं खुद को जब भी, तेरा ही चेहरा उभर के आता।
ये आइने की खुली बग़ावत, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।

RAJ SINH said...

ये आइने की खुली बगावत ............क्या बात कह दी खूब !

दोस्त आप्की शायिरी ही नहीन आप्की किस्मत से भी रश्क कर्ता हून .क्योन ?

जो है तुम्हारा शहर वो प्यारा कभी रहा था मेरा ठिकाना
वहीन हैन बिखरी तमाम यादेन वहीन था मेरा भी आशियाना .

NIT JO TAB RIT THA SE ENGG. FIR KUCH SAALON KEE ROJEE ROTEE AUR SAPNE SEE ZINDAGEE KE SABSEE HASEEN LAMHE ......VAHEE KHARKAAYEE ,SWARNREKHA DIMNAA BISTUPUR SAAKCHEE KADAMAA SONAAREE ....AAJ BHEE UNHEEN YADON KEE CHAON.......
SAB TO HAIN JUDE JUDE SHAHAR SE TERE ! VAHEEN SE TO SHAYIREE BHEE ZINDGEE BAN GAYEE !
चलो वो यादोन की खोयी रातेन चलो वो ख्वाबोन की मह्फ़िलोन को ,
न जाने कितना सुना चुके हैन खतम न होगा कभी फ़साना .
४० साल हो गये पर लगता है कि कल की ही बात हो
ऊपर की और ये नीचे लिखी सतरेन.....आप की शयिरी और शहर की शान पर कुर्बान .
आप की दर पर आते रहेन्गे सलाम बजाते रहेन्गे .
आमीन !

Mumukshh Ki Rachanain said...

मिलकर सागर में मिट जाना, सारी नदियों की चाहत है।
मिलन सुमन का तड़प भ्रमर की, क्या तुमने देखा जो मैंने देखा।।

देखा ही नहीं समझा भी , तभी तो वाह वाही लुटाने आ गया.

कविता के माध्यम से ही सही पर बहुत कुछ दिखा दिया.

आभार

सुन्दर कविता प्रस्तुति का भी आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त

mark rai said...

बहुत सुन्दर! ........

ठान ले तो जर्रे जर्रे को थर्रा सकते है । कोई शक । बिल्कुल नही ।
अभी थोडी मस्ती में है । मौज कर रहे है ।
पर एक दिन ठानेगे जरुर ....

BrijmohanShrivastava said...

मिलन सुमन का तड़प भ्रमर की ?

Asha Joglekar said...

सुंदर रचना ।

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह बहुत सुंदर रचना आपको बहुत बधाई श्यामल जी

Anonymous said...

ये तो पढुआ चाचा आपकी वो रचना है.जिसके हम दीवाने हैं

प्रज्ञा पांडेय said...

फ़लक को देखा पलक उठा के, तुम्हारी सूरत की वो झलक है।
bahut sunder bimb hai.

Anonymous said...

i want u to comment on my new blog and also to attach me in ur list because i dont know how it is done

Pallavi saxena said...

a very beautiful post sir...."kya tumne dekha jo maine dekha"

गुड्डोदादी said...



www.youtube.com/watch?v=TMCILPxFFi8‎
Jun 7, 2009 - Uploaded by IMIRZA777's channel
Jagmohan. (Photos. Sharmila Tagore. ... YouTube home. Sign in. Upload. Search .... Ever green .love song ...

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