जिंदगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या, हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए
दिल की चाहत ही ख़्वाबों में ढलती सदा, ऐसे ख़्वाबों को धरती गगन चाहिए
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
जो न सोचा वही आज क्यों हो रहा, साजिशें चल रहीं हैं यहाँ से वहाँ
आज फटते हैं आँचल कफ़न के लिए, था न सोचा कभी यह कफन चाहिए
आग कैसे लगी है ये किसको पता, सच मगर है कि कुछ झोंपड़े जल गए
जिसकी साजिश उसी ने बनाया महल, ऐसा हमको नहीं फिर चमन चाहिए
अब इशारों पे चलती वसंती हवा, फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो ज़रा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं, है बदलना तो दिल में अगन चाहिए
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27 comments:
श्यामल सुमन जी
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
बेहतरीन..
सुंदर सुमन वृष्टि
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
सही कहा है ।
बस कांटे बिन मांगे भी मिल जाते हैं ।
रचना अच्छी है ।
क्या बात है सुमन जी कितना सुन्दर लिखते हैं आप. मन प्रसन्न हो गया :)
अब इशारों पे चलती वसंती हवा,
फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो ज़रा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं,
है बदलना तो दिल में अगन चाहिए
--
सुमन जी!
आपने बहुत ही हृदयस्पर्शी गीत रचा है!
--
छन्दबद्द लिकना हरेक के बस की बात नही है!
पिछली टिप्पणी में जल्दबाजी में
वर्तनी की त्रुटियाँ हो गईं थीं!
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अब इशारों पे चलती वसंती हवा,
फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो ज़रा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं,
है बदलना तो दिल में अगन चाहिए
--
सुमन जी!
आपने बहुत ही हृदयस्पर्शी गीत रचा है!
--
छन्दबद्ध लिखना सभी के के बस की बात नही है!
दिल की आग ही बदल पायेगी जीवन को, सुन्दर पंक्तियाँ।
अति सुंदर रचना, धन्यवाद
आग कैसे लगी है ये किसको पता, सच मगर है कि कुछ झोंपड़े जल गए
जिसकी साजिश उसी ने बनाया महल, ऐसा हमको नहीं फिर चमन चाहिए
Wah! Aap hamesha lajawab hee likhte hain!
आग कैसे लगी है ये किसको पता, सच मगर है कि कुछ झोंपड़े जल गए
जिसकी साजिश उसी ने बनाया महल, ऐसा हमको नहीं फिर चमन चाहिए
कविता के शब्द लुहार के लोहे की चोट हैं
हम अपना जुर्म स्वीकार करते हैं
पता नहीं था लपटें यहाँ तक आयंगी
दबी राख की चिंगारी शोला बन गई
गर्म हवा का झोंका भी न निकलने देते
जिंदगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या, हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए
दिल की चाहत ही ख़्वाबों में ढलती सदा, ऐसे ख़्वाबों को धरती गगन चाहिए
क्या लिखहुँ कहाँ से शब्द ढूंढूं
आत्मा के सौन्दर्य का शब्द है सपना
यही आस पर तो जी रहें है जिंदगी
क्या कभी सपना भी अपना हुआ
आँख के टपकते आँसूं की तरह
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
एक बहुत अनुभवी सच लिखा
बहुत कष्ट झेले लोह सथ्म्भ
आदर्शों से भिडे हो तभी तो लिख रहें हो
मित्र गुलाब के फूल तरह महक रहें हो
बहुत लाजवाव लिखा है
बहुत अच्छा
कभी फुरसत मिले तो यहाँ भी आइये
www.deepti09sharma.blogspot.com
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
बहुत ही घाव भरी पंक्तियाँ
कर्म अच्छे करते रहना है फल की आशा नहीं
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
बहुत ही घाव भरी पंक्तियाँ
कर्म अच्छे करते रहना है फल की आशा नहीं
वाह !!!बहुत ही अच्छी शायरी ....
अब इशारों पर चलती बसंती हवा ,फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो जरा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं,है बदलना तो दिल में अगन चाहिए
श्यामल व सुमन
आपकी दर्द भरी पंक्तियाँ पढ़ कर आंसूं थमने का नाम नहीं ले रहे
यही शब्द निकले
आपका सन्देश कार्ड पढ़ यही पंक्तियां निकली
रोई परदेस में,देखा दुनियाँ का विस्तार |
बहुत ही याद आता है माँ की गोद का दुलार
आकाश के सौर मंडल को देखा
...
आँखों में माँ का प्यार भीगते देखा
"अब इशारों पे चलती वसंती हवा, फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो ज़रा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं, है बदलना तो दिल में अगन चाहिए"
रोशनी बांटनी हो गर तो सितारा बन आस्मां में भटकना ही पड़ेगा.
बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.
दिल की चाहत ही ख़्वाबों में ढलती सदा, ऐसे ख़्वाबों को धरती गगन चाहिए
WAAH WAAH
I GOT EVERY RESPECT TODAY
bahut sunder likhe hain.
आग कैसे लगी है ये किसको पता, सच मगर है कि कुछ झोंपड़े जल गए
जिसकी साजिश उसी ने बनाया महल, ऐसा हमको नहीं फिर चमन चाहिए
अब इशारों पे चलती वसंती हवा, फिर सुमन क्या करे ये तो सोचो ज़रा
बैठ चुपचाप रहना भी मुमकिन नहीं, है बदलना तो दिल में अगन चाहिए
बढिया गज़ल ।
ठोकरों से भरा जिंदगी का सफर, है सिखाती हमें नित नए फलसफे
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फ़िर तो काँटा वही आदतन चाहिए
क्या बात कही है....वाह !!!!
लाजवाब !!!! बेहतरीन रचना...
जिंदगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या, हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए
दिल की चाहत ही ख़्वाबों में ढलती सदा, ऐसे ख़्वाबों को धरती गगन चाहिए
सुभानअल्लाह खुश हो गए पढ़ कर
सजनी नथली से टूटा मोती रे
मनवा सजदा भोर कभी न होती रे
जिसकी साजिश उसी ने बनाया महल, ऐसा हमको नहीं फिर चमन चाहिए
बहुत एकदम मन को छू गई पंक्ति पढ़ कर नहीं थमें आंसूं
ईश्वरप्रदत्त अनमोल उपहार है अतः इसे ह्रदय
में स्थान चाहिए
जिंदगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या, हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए
दिल की चाहत ही ख़्वाबों में ढलती सदा, ऐसे ख़्वाबों को धरती गगन चाहिए
है ही ऐसी हसरत
हाई टेक करवाचौथ
पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत हैं और पतिदेव घर पर नहीं? कोई बात नहीं, कंप्यूटर है ना! अमृतसर में 26 अक्टूबर को कंप्यूटर स्क्रीन पर पति का फोटो देखकर पूजा करती सुहागिन। (दैनिक जागरण
जिंदगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या, हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए
यूं हसरतों के दाग मोहबत में धो लिए
जब दिल ने दिल से बात कही रो लिए
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