Tuesday, June 28, 2011

आती है बरसात


नव-जीवन का बोध कराने आती है बरसात
कई आशियां संग बहाने आती है बरसात

कुम्हलाये से लोग तपिश में घास-पात भी सूखे
हरियाली को पुनः सजाने आती है बरसात

जोश नदी में भर देती है खेतों में मुस्कान
हर जीवों की प्यास बुझाने आती है बरसात

नव-दम्पति से कोई पूछे कितना मीठा मौसम
विरहन खातिर पिया रिझाने आती है बरसात

घूम रहे हैं जुगनू जैसे चलते फिरते तारे
झींगुर का संगीत सुनाने आती है बरसात

पंख झाड़ फिर पंख भिंगाना चिड़ियाँ कितनी खुश है
चिड़ियों का संसार बसाने आती है बरसात

इन्तजार में बीज सभी हैं भीतर भरा उमंग
कलियों को भी सुमन बनाने आती है बरसात


8 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर वर्षा गीत।

Kusum Thakur said...

बरसात का सजीव चित्रण वाह...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सजीव चित्रण किया है बरसात का ..सुन्दर अभिव्यक्ति

Pallavi saxena said...

बहुत अच्छी व्याख्या कि है आप ने बरसात कि मगर बरसात हमेशा खुशियाँ ही लाये यह जरूरी नहीं, कभी-कभी किसी के लिए गम का मौसम भी होता है बरसात का आना और उस वक़्त ऐसा लगता है कि सावन भी रो दिया उस रोने वाले के गम में...लेकिन फिर भी बहुत अच्छा लिखा है आप ने बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

जब भी मन पुलकित होता है, आती है बरसात।

कविता रावत said...

Barshat ke mausam mein sudar barsati geet padhna man ko bahut achha laga...

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर बरसाती गीत जी.

गुड्डोदादी said...

कुम्हलाये से लोग तपिश में घास-पात भी सूखे
हरियाली को पुनः सजाने आती है बरसात
आज की बरसात में बाढ़ से उजाड़ है
लोग फंसे पड़े जैसे जीना बेकार है

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