नव-जीवन का बोध कराने आती है बरसात
कई आशियां संग बहाने आती है बरसात
कुम्हलाये से लोग तपिश में घास-पात भी सूखे
हरियाली को पुनः सजाने आती है बरसात
जोश नदी में भर देती है खेतों में मुस्कान
हर जीवों की प्यास बुझाने आती है बरसात
नव-दम्पति से कोई पूछे कितना मीठा मौसम
विरहन खातिर पिया रिझाने आती है बरसात
घूम रहे हैं जुगनू जैसे चलते फिरते तारे
झींगुर का संगीत सुनाने आती है बरसात
पंख झाड़ फिर पंख भिंगाना चिड़ियाँ कितनी खुश है
चिड़ियों का संसार बसाने आती है बरसात
इन्तजार में बीज सभी हैं भीतर भरा उमंग
कलियों को भी सुमन बनाने आती है बरसात
8 comments:
सुंदर वर्षा गीत।
बरसात का सजीव चित्रण वाह...
सजीव चित्रण किया है बरसात का ..सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत अच्छी व्याख्या कि है आप ने बरसात कि मगर बरसात हमेशा खुशियाँ ही लाये यह जरूरी नहीं, कभी-कभी किसी के लिए गम का मौसम भी होता है बरसात का आना और उस वक़्त ऐसा लगता है कि सावन भी रो दिया उस रोने वाले के गम में...लेकिन फिर भी बहुत अच्छा लिखा है आप ने बधाई
जब भी मन पुलकित होता है, आती है बरसात।
Barshat ke mausam mein sudar barsati geet padhna man ko bahut achha laga...
बहुत सुंदर बरसाती गीत जी.
कुम्हलाये से लोग तपिश में घास-पात भी सूखे
हरियाली को पुनः सजाने आती है बरसात
आज की बरसात में बाढ़ से उजाड़ है
लोग फंसे पड़े जैसे जीना बेकार है
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