हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से, चमकता भारत
मगर अवाम की नज़रों में, तड़पता भारत
देश में है जम्हूरियत, फक्र भी मुझको
हादसे और धमाकों में, सिसकता भारत
किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता
घोषणा कर मुआवजे की, विहँसता भारत
किसी का मसला यही है कि वो खाएं क्या क्या
अहम सवाल कि खाएं क्या, उलझता भारत
इसी चमन में एक इण्डिया एक भारत भी
सुमन है कारण चूहे घर के, पिछड़ता भारत
Sunday, September 11, 2011
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9 comments:
श्यामल
आशीर्वाद
हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से चमकता भारत
मगर अवाम की आँखों में सिसकता भारत
कविता पढ़ मन विहल झिंझोड
सोने की चिड़िया था भारत
देखो आज भारत की हालत
"हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से"
हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से चमकता भारत
मगर अवाम की आँखों में सिसकता भारत
जम्हूरियत सबसे बड़ा मेरा फक्र भी मुझको
हादसे और धमाकों में तड़पता भारत
किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता
घोषणा कर मुआवजे की विहँसता भारत
किसी का मसला ये है कि खाएं क्या क्या
अहम सवाल कि खाएं क्या उलझता भारत
एक इण्डिया है चमन में एक भारत भी
सुमन है कारण चूहे घर के पिछड़ता भारत
posted by श्यामल सुमन at 7:37 AM on Sep 11,
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view more repliesLoading... ईoगनेश जी "बागी" openbooksonline आदरणीय श्यामल सुमन जी, कहन के हिसाब से बहुत ही उम्दा ख्यालात, यह रचना काफिया दोष की वजह से ग़ज़ल बनते बनते रह गई, मतला में जब आपने चमकता के साथ सिसकता उठा लिया है तो आपने काफिया "कता" तय कर दिया, ऐसे में तड़पता,विहँसता, उलझता और पिछड़ता काफिया दोषपूर्ण है | यदि शिल्प की दृष्टि से न देखी जाय तो कथ्य के स्तर पर बेजोड़ रचना है, बधाई स्वीकार करें | 6 minutes ago
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बहुत सुन्दर अभिव्क्ति
मगर अवाम की आँखों में सिसकता भारत...
सब कुछ कह दिया भईया आपने...
सादर...
इसी बात का तो रोना है...
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क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
सार्थक अभिवक्ती सर....
समय मिले आपको कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर
आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
कितना सही कहा.....
सार्थक सटीक बहुत ही सुन्दर भाईजी...
दिन आये वह भी एक दिन,
दिखे हमें एक चहकता भारत।
guddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार सोने की चिड़िया था भारत
देखो आज भारत की हालत Sep 11
ईoगनेश जी "बागी" openbooksonline आज भी सोने की चिड़िया है भारत, जिसे मिलकर लुट रहे है ये सियासत के दलाल | Sep 11
guddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार गणेश बेटा आशीर्वाद
लूट रहे सियासत के दलाल
तभी तो लिखा देखो आज भारत की हालत Sep 11
PAWAN ARORA मेरा मजहब '' प्यार और वफ़ा ' bahut badiya aur sach ka roop ....bahut umada ..aap ki kalam ko salaam Sep 11
guddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार पवन बेटा
आशीर्वाद
क्षमायाचना गजल मेरी लिखित नहीं कवि श्यामल जी की है दादी हूँ हूँ परिवार की Sep 11
श्यामल जी आशीर्वाद आपकी कविता की टिपण्णी
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