बात कहने की धुन गीत लिखने की धुन, जिन्दगी है खुशी गम को सहने की धुन।
वश में कुछ भी नहीं हौसले के सिवा, बन के दीपक जगत में है जलने की धुन।।
रास्ते में पहाड़ी है दरिया कभी, सामना जिन्दगी में तो करते सभी।
ये समन्दर की लहरें सिखाती हमें, हर मुसीबत से आगे निकलने की धुन।।
चाहे फिसलन सही जो फिसलता नहीं, दिन गर्दिश के हों पर बदलता नहीं।
एक इन्सान सच्चा उसे हम कहें, जिसके भीतर हो जीवन समझने की धुन।।
जब कि कुदरत ने सबको है सींचा यहाँ, कौन ऊँचा यहाँ कौन नीचा यहाँ।
रोज दीवारें आँगन में बनती है क्यों, दिल की दूरी से हरदम निबटने की धुन।।
लोग अपने सभी हो न दिल में जलन, राह ऐसे चले जो उसी को नमन।
वो सुमन तो हमेशा ही बेचैन है, जिसको बेहतर फिजा में सँवरने की धुन।।
वश में कुछ भी नहीं हौसले के सिवा, बन के दीपक जगत में है जलने की धुन।।
रास्ते में पहाड़ी है दरिया कभी, सामना जिन्दगी में तो करते सभी।
ये समन्दर की लहरें सिखाती हमें, हर मुसीबत से आगे निकलने की धुन।।
चाहे फिसलन सही जो फिसलता नहीं, दिन गर्दिश के हों पर बदलता नहीं।
एक इन्सान सच्चा उसे हम कहें, जिसके भीतर हो जीवन समझने की धुन।।
जब कि कुदरत ने सबको है सींचा यहाँ, कौन ऊँचा यहाँ कौन नीचा यहाँ।
रोज दीवारें आँगन में बनती है क्यों, दिल की दूरी से हरदम निबटने की धुन।।
लोग अपने सभी हो न दिल में जलन, राह ऐसे चले जो उसी को नमन।
वो सुमन तो हमेशा ही बेचैन है, जिसको बेहतर फिजा में सँवरने की धुन।।
7 comments:
श्यामल
आशीर्वाद
जब कि कुदरत ने सबको है सींचा यहाँ,
कौन ऊँचा यहाँ कौन नीचा यहाँ।
सदा के तरह एक भावुकता से भरपूर
माँ ओर भगवान की नज़रों में सभी एक
बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता| धन्यवाद|
सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
धुन में रमना बना रहे।
बड़ी प्यारी नज्म है। इतनी जल्दी दूसरी क्यों पोस्ट कर दी कुछ दिन रहने देते।
जब कि कुदरत ने सबको है सींचा यहाँ,
कौन ऊँचा यहाँ कौन नीचा यहाँ।
मंजिल भी उसकी रास्ता भी उसका
मै अकेली काफिला भी उसका
लोग भी उसके क्या खुदा भी उसका
bahut sashaqt prastuti...lajabaab.
Post a Comment