Thursday, September 15, 2011

इबादत नाम दिये जाते हैं

काम नहीं करते कुछ ऐसे लोग जिये जाते हैं
खून जला कुछ पैसा जोड़े और पिये जाते हैं

दोस्तों की आपस में बातें नए जमाने की सौगात
अभिवादन करते गाली में बात किये जाते हैं

प्रायः सबको प्यारी खुशियाँ पर कुछ ऐसे लोग यहाँ
जिसका सुख है जले आशियाँ आग लिये जाते हैं

घर के भीतर प्यार सभी का बाहर कुछ की नज़रें क्यूँ
भूख जिस्म की जिसे इबादत नाम दिये जाते हैं

नया सलीका यह विकास का बेमानी हैं जब रिश्ते
फटे आसमां को शब्दों से सुमन सिये जाते हैं

14 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

होंठ सियेंगे, फिर भी कहेंगे, हम तो सच्ची बात

गुड्डोदादी said...

श्यामल
चिरंजीव भवः
प्रायः सबको प्यारी खुशियाँ पर कुछ ऐसे लोग यहाँ
जिसका सुख है जले आशियाँ आग लिए जाते हैं

नमक खाया है गीत गायेंगे
दूनियाँ चाहे कुछ भी कहे

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

तीखी सी गज़ल .. सत्य कहती हुई .

संजय भास्‍कर said...

अच्छे भाव लिए ....... बेहतरीन गज़ल

गुड्डोदादी said...

2
1
Priyanka Bharati, Madhu Srivastava,
view more repliesLoading... Priyanka Bharati good morning dadi..............bahut achi kavita h ............. 10:44 PM
chitrajan ameta pranamm bahut khub likha h aapne

भले फिसलन सही जो पिछड़ता नहीं,
ठंढ़ भीषण भी हो तो सिकुड़ता नहीं।
एक इन्सान सच्चा कहें हम किसे,
जिन्दगी में हो चढ़ने उतरने की धुन।। Read full reply10:48 PM
guddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार Priyanka Bharati ये समन्दर की लहरें सिखाती हैं क्या,
जूझकर के सदा दिल में बढ़ने की धुन।। ............bahut sundar dadi 54 minutes ago 11:32 PM
Madhu Srivastava jindgi ko jeene ka salika sikhati h apki ye kavita.........ati sundar.........
pura jeevan sandesh chhipa h isme...... 12:25 AM
guddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार एक निराशावादी हर अवसर में कठिनाई देखता है, एक आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है 1:32 AM
राजा धामेचा दादी माँ ..प्रणाम....
बात कहने की धुन गीत लिखने की धुन,
जिन्दगी है खुशी गम को सहने की धुन
....धुन लगी रहे तो जिन्दगी आसानी से कट जाती है..........

Sunil Kumar said...

घर के भीतर प्यार सभी का बाहर कुछ की नज़रें क्यूँ
भूख जिस्म की जिसे इबादत नाम दिये जाते हैं
खुबसूरत शेर , वाह वाह........

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बेहतरीन ग़ज़ल भईया...
सवाल सी करती हुई...
सादर बधाई...

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

नई तरह की सोच के साथ ,
एक उम्दा गज़ल, लाज़वाब ||

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

नई तरह की सोच के साथ ,
एक उम्दा गज़ल, लाज़वाब ||

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

नई तरह की सोच के साथ ,
एक उम्दा गज़ल, लाज़वाब ||

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

श्‍यामल जी, जवाब नहीं आपका।

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मिल गयी दूसरी धरती?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

विभूति" said...

खुबसूरत ग़ज़ल....

Arun sathi said...

सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.

गुड्डोदादी said...

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