Saturday, October 1, 2011

बापू फिर तुम कब आओगे?

आजादी ही बनी गुलामी आजादी के बाद।
नाम मिटा है नैतिकता का देश हुआ बर्बाद।
शीशे जैसा तेरा सपना, टूट टूटकर बिखर गया है।
सच में आजादी पाने को, बच्चा बच्चा तरस गया है।
आ जाओ गर एक बार, तो वापस फिर न जा पाओगे।
बापू फिर तुम कब आओगे?

नाम तुम्हारा ही नित लेकर, तेरा काम बढ़ाते नेता।
दीन- दुखी का शोषण करके, नैतिकता पर भाषण देता
सत्य अहिंसा तुमको प्यारे, जिनकी लाशें तड़प रहीं हैं।
लूट लिया आदर्श तुम्हारा, भारत माता बिलख रही है।
साल कई अब बीत चुके हैं, देर करोगे, पछताओगे।
बापू अब तुम कब आओगे?

घूसखोरी, कानून तोड़ना, करना, करवाना दंगा।
भाई भाई का दुश्मन बनकर, चला रहा काला धंधा।
भारत जिसको छोड़ गए तुम, बना आज घोटाला देश।
और विदेशी फिर से आकर, करते नित पूँजी निवेश।
अगर गुलामी फिर आ जाए, तब तो दौड़े आओगे?
बापू बोलो कब आओगे?

क्या लिख भेजूँ क्या बतलाऊँ, हालत है बिल्कुल बदतर।
अक्सर बूढ़े लोग कहे कि थे अंग्रेज बहुत बेहतर।
रक्षक ही भक्षक बन बैठा क्या होगा अंजाम?
गली चौक में जगह जगह पर खड़ा है नाथूराम।
बगिया तेरी उजड़ रही है, शांति सुमन कब लाओगे?
बापू फिर तुम कब आओगे?

12 comments:

आशुतोष कुमार झा said...

मार्मिक एवं प्रभावशाली रचना , आज के दिन प्रासंगिक और ज़रूरी रचना ,बधाई !

Dr Varsha Singh said...

यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक रचना.....
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!

समयचक्र said...

बहुत सटीक सामयिक रचना...

मनोज कुमार said...

गांधी जी का विश्वास अहिंसा की नीति में था। वे एक अहिंसक समाज की स्थापना के पक्षधर थे। एक ऐसा समाज जहां किसी भी व्यक्ति का शोषण न हो। इस तरह से स्वदेशी की भावना का भी विकास होता। यह भावना विदेशी चीज़ों के इस्तेमाल से लोगों को रोकती। ग्रामीण लोगों को रोज़गार के पर्याप्त अवसर मिलते। अंततोगत्वा वे न्यासीकरण के सिद्धांत को अमल में लाना चाहते थे। यानी भूमि का स्वामित्व सामूहिक होता। लोग मित्रवत रहते क्योंकि यह समाज अहिंसक समाज होता। ऐसा समाज आधुनिक अवधारणा और तौर तरीकों के रूप में नहीं था।

प्रवीण पाण्डेय said...

बापू अगर आज तुम होते।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

मार्मिक और सामयिक अभिव्यक्ति है भईया...
बापू को सादर नमन...

kshama said...

नाम तुम्हारा ही नित लेकर, तेरा काम बढ़ाते नेता।
दीन- दुखी का शोषण करके, नैतिकता पर भाषण देता।
सत्य अहिंसा तुमको प्यारे, जिनकी लाशें तड़प रहीं हैं।
लूट लिया आदर्श तुम्हारा, भारत माता बिलख रही है।
साल कई अब बीत चुके हैं, देर करोगे, पछताओगे।
बापू अब तुम कब आओगे?
Aah! Kash! Baapu aa payen! Itnee apnee qismat kahan?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और यशस्वी प्रधानमंत्री रहे स्व. लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर उन्हें स्मरण करते हुए मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
इन महामना महापुरुषों के जन्मदिन दो अक्टूबर की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Udan Tashtari said...

प्रभावी अभिव्यक्ति!!

गुड्डोदादी said...

shyamal
ahirvaad
क्या लिख भेजूँ क्या बतलाऊँ, हालत है बिल्कुल बदतर।
अक्सर बूढ़े लोग कहे कि थे अंग्रेज बहुत बेहतर।

bahoot sundr prastuti dadi bhee yahi kehtee firngi raaj bahoot behtr

गुड्डोदादी said...

Govind Piplwa and Preeti Khanna Fernandes like this..
Preeti Khanna Fernandes vry nice.. DADI.
about an hour ago · LikeUnlike.Govind Piplwa इस देश को अंग्रेजों के चंगुल से आज़ाद कराया, वीर देश भक्तों ने देके बलिदान स्वतंत्र भारत का तिरंगा फहराया! ब्रिटिश सल्तनत तो खत्म हुई ये देश अब आबाद है, पर आजादी के सदियों बाद क्या सच में देश आज़ाद है[.

52 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo govind beta ashirvaad hm sawtntre nahin abhee bhee prtantr hai maansikta se
2 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo preteebi itto dhanyvaad
about a minute ago · LikeUnlike · 1 personLoading....

गुड्डोदादी said...

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Priyanka Bharati क्या लिख भेजूँ क्या बतलाऊँ, हालत है बिल्कुल बदतर।
अक्सर बूढ़े लोग कहे कि थे अंग्रेज बहुत बेहतर।
रक्षक ही भक्षक बन बैठा क्या होगा अंजाम?
गली चौक में जगह जगह पर खड़ा है नाथूराम।
बगिया तेरी उजड़ रही है, शांति सुमन कब लाओगे?
बापू फिर तुम कब आओगे? bahut sundar dadi 9:40 AM

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