कहते हम सब भाई भाई, ऐसे रचनाकार कई
आपस में छीटें रोशनाई, ऐसे रचनाकार कई
समझाने के वो काबिल हैं, जिसने समझा रिश्तों को
इनको अबतक समझ न आई, ऐसे रचनाकार कई
बोझ ज्ञान का ढोना कैसा, फ़ेंक उसे उन्मुक्त रहो
कहते, होती है कठिनाई, ऐसे रचनाकार कई
इधर उधर से शब्द उड़ाकर, कहते हैं रचना मेरी
कविता पे होती कविताई, ऐसे रचनाकार कई
अलग अलग दल बने हए हैं, राजनीति और लेखन में
अपनी अपनी राम दुहाई, ऐसे रचनाकार कई
लेखन की नूतन प्रतिभाएँ, किस दुकान पर जायेंगे
खो जातीं हैं यूँ तरुणाई, ऐसे रचनाकार कई
लिखते हैं जिसके विरोध में, वही आचरण अपनाते
यही सुमन की है चतुराई, ऐसे रचनाकार कई
आपस में छीटें रोशनाई, ऐसे रचनाकार कई
समझाने के वो काबिल हैं, जिसने समझा रिश्तों को
इनको अबतक समझ न आई, ऐसे रचनाकार कई
बोझ ज्ञान का ढोना कैसा, फ़ेंक उसे उन्मुक्त रहो
कहते, होती है कठिनाई, ऐसे रचनाकार कई
इधर उधर से शब्द उड़ाकर, कहते हैं रचना मेरी
कविता पे होती कविताई, ऐसे रचनाकार कई
अलग अलग दल बने हए हैं, राजनीति और लेखन में
अपनी अपनी राम दुहाई, ऐसे रचनाकार कई
लेखन की नूतन प्रतिभाएँ, किस दुकान पर जायेंगे
खो जातीं हैं यूँ तरुणाई, ऐसे रचनाकार कई
लिखते हैं जिसके विरोध में, वही आचरण अपनाते
यही सुमन की है चतुराई, ऐसे रचनाकार कई
12 comments:
श्यामल
आशीर्वाद
इधर उधर से शब्द उड़ाकर, कहते हैं रचना मेरी
कविता पे होती कविताई, ऐसे रचनाकार कई
व्यंगात्मक गजल लिक्खी गाई
ऐसे रचना कार कई
बहुत बढ़िया...
इधर उधर से शब्द उड़ाकर, कहते हैं रचना मेरी
कविता पे होती कविताई, ऐसे रचनाकार कई
खुले आम करते चोरी....
और अपनी बताते....
फिर भी ढेरों तरीफ पाते हैं....
ऐसे रचनाकारों की कमी नहीं.....
लाजवाब.
अनु
बढ़िया कटाक्ष कर दिया आज तो रचनाकारों पर ...
वाह रचनाकारों के रूप कई।
अलग अलग दल बने हए हैं, राजनीति और लेखन में
अपनी अपनी राम दुहाई, ऐसे रचनाकार कई
bahut sunder
rachana
अलग अलग दल बने हए हैं, राजनीति और लेखन में
अपनी अपनी राम दुहाई, ऐसे रचनाकार कई
कुछ अलग सी पोस्ट सच्चाई से कही गयी बात अच्छी लगी
कहते हम सब भाई भाई, ऐसे रचनाकार कई
आपस में छीटें रोशनाई, ऐसे रचनाकार कई....sahi kaha ap[ne....
लिखते हैं जिसके विरोध में, वही आचरण अपनाते
यही सुमन की है चतुराई, ऐसे रचनाकार कई
वाह!!!!बहुत सुंदर कटाक्ष करती प्रस्तुति,प्रभावी रचना,..शुमन जी बधाई
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
सिर्फ कहूँगा - लाजवाब .
बहुत बढ़िया...
बहुत बढ़िया...
लेखन का तालाब ही ऐसा हो गया है कि बड़ी मछलियाँ छोटे को पनपने नहीँ देना चाहती है । दर्पण दिखाने के लिए धन्यवाद ।
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