जिसने दुःख में जीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा
फटेहाल जीवन की गाथा
चिथड़ों को भी सीना सीखा
जीवन को भवसागर कहते
कैसे चले सफीना सीखा
जीवित रहना कम साधन में
सालों साल महीना सीखा
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा
बिना परिश्रम भोग, रोग है
निकले सदा पसीना सीखा
चाल अघोषित है जीवन की
नूतन सुमन करीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा
फटेहाल जीवन की गाथा
चिथड़ों को भी सीना सीखा
जीवन को भवसागर कहते
कैसे चले सफीना सीखा
जीवित रहना कम साधन में
सालों साल महीना सीखा
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा
बिना परिश्रम भोग, रोग है
निकले सदा पसीना सीखा
चाल अघोषित है जीवन की
नूतन सुमन करीना सीखा
14 comments:
जिसने दुःख में जीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा
sarthak sandesh deti rachna ....!!
जिसने दुःख में जीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा
सच का नगीना..
Bahut hi shashwat soch se bharpoor hai apki yah rachna
Bahut hi shashwat soch se bharpoor hai apki yah rachna
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा
वाह! बहुत ही बेहतरीन लाइन.....
वाह...
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा
बहुत सुंदर.
सादर.
श्यामल
सदा सुखी रहो
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा
खुशियाँ है चार दिन की
गम हैं उम्र भर के (आगे नहीं लिखा जा >>)
वाह!!!!बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ,,,,,,,
कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा,,,,,
MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बिना परिश्रम भोग, रोग है
निकले सदा पसीना सीखा
बहुत सुंदर ...
क्या बात है! वाह! दहला है जी! दहला नहला नहीं
जिसने दुःख में जीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा
जीना खुद नगीना है
vaah ....lajabaab ....awesome lines
आपकी इस रचना में jeevan का sangharsh jhalak raha है...
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