कोई मस्त है,
कोई पस्त है।
चेहरे पे शिकन तो देखो,
लगता बिल्कुल त्रस्त है।
मजे की बात यह कि
फिर भी हरदम व्यस्त है।
ठीक उसी तरह, जैसे,
नयी सुबह की आस जगाकर,
हर दिन सूरज होता अस्त है।
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तकनीकी शिक्षा -
विद्युत अभियंत्रण मे डिप्लोमा
सम्प्रति - प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर रुचि के विषय : नैतिक-मानवीय मूल्य एवं सम्वेदना
11 comments:
समय नियत दे सूर्योदय में, व्यर्थ किये पर हँसता वह।
sach kaha....vyst hai , ast hai...
ओ सुबह कभी तो आयेगी !
वाह ...बेहतरीन पोस्ट
recent poem : मायने बदल गऐ
शुभकामनायें-
प्रभावी उम्दा प्रस्तुति,,,,
recent post: वह सुनयना थी,
बहुत सुन्दर
नई पोस्ट :" अहंकार " http://kpk-vichar.blogspot.in
अति सुन्दर रचना..
:-)
अति सुन्दर रचना..
:-)
लगता है कि त्रस्त है
मजे की बात है कि
फिर भी हरदम व्यस्त है
(वो सुबह कभी तो आएगी )
अति सुंदर कृति
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