कहने को साँसें चलतीं पर जीवन है लाचार यहाँ
सत्ता की सारी मनमानी क्यों करते स्वीकार यहाँ
वतनपरस्ती किसके दिल में खोज रहा हूँ सालों से
नीति-नियम और त्याग-समर्पण की बातें बेकार यहाँ
संविधान को अपने ढंग से परिभाषित करते सारे
छीन लिए जाते हैं यारो जीने का अधिकार यहाँ
दिखलायी देती खुदगर्जी रिश्तों में, अपनापन में
टूटा गाँव, समाज, देश भी टूट रहा परिवार यहाँ
आजादी की अमर कहानी नहीं पढ़ाते बच्चों को
वीर शहीदों के सपने भी शायद हो साकार यहाँ
भूखे की हालत पर लिखना बिना भूख वो क्या जाने
रोजी रोटी पहले यारो कर लेना फिर प्यार यहाँ
कौन संत है कौन लुटेरा यह पहचान बहुत मुश्किल
असली नकली सभी सुमन के लोग करे व्यापार यहाँ
सत्ता की सारी मनमानी क्यों करते स्वीकार यहाँ
वतनपरस्ती किसके दिल में खोज रहा हूँ सालों से
नीति-नियम और त्याग-समर्पण की बातें बेकार यहाँ
संविधान को अपने ढंग से परिभाषित करते सारे
छीन लिए जाते हैं यारो जीने का अधिकार यहाँ
दिखलायी देती खुदगर्जी रिश्तों में, अपनापन में
टूटा गाँव, समाज, देश भी टूट रहा परिवार यहाँ
आजादी की अमर कहानी नहीं पढ़ाते बच्चों को
वीर शहीदों के सपने भी शायद हो साकार यहाँ
भूखे की हालत पर लिखना बिना भूख वो क्या जाने
रोजी रोटी पहले यारो कर लेना फिर प्यार यहाँ
कौन संत है कौन लुटेरा यह पहचान बहुत मुश्किल
असली नकली सभी सुमन के लोग करे व्यापार यहाँ
8 comments:
आज की चर्चा : ज़िन्दगी एक संघर्ष -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-005
हिंदी दुनिया -- शुभारंभ
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/९/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है।
बहुत खूब ।
सीधा और सपाट वक्तव्य
दिखलायी देती खुदगर्जी रिश्तों में, अपनापन में
टूटा गाँव, समाज, देश भी टूट रहा परिवार यहाँ
विहल अश्रुपूर्ण
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बढ़िया रचना
downloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
बहुत खूबसूरती से लिखा है
पापा मेरी भी शादी करवा दो ना
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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