पढ़ना ज्यादा लिखना कम है
लेखन का बस एक नियम है
गीत, गजल, दोहा, कविता हो
लिखते जब जैसा मौसम है
पाठक, श्रोता याद रखे तब
शब्द, भाव में जब संगम है
कभी मुहब्बत कभी सियासत
खुशियाँ रचना में या गम है
सीता, राधा, मीरा, कविता
कहीं यशोदा या मरियम है
भीड़ जुटाना क्यों शब्दों की
कविता कला और संयम है
कलम उठाना सुमन सोचकर
बदल रहा हरपल आलम है
लेखन का बस एक नियम है
गीत, गजल, दोहा, कविता हो
लिखते जब जैसा मौसम है
पाठक, श्रोता याद रखे तब
शब्द, भाव में जब संगम है
कभी मुहब्बत कभी सियासत
खुशियाँ रचना में या गम है
सीता, राधा, मीरा, कविता
कहीं यशोदा या मरियम है
भीड़ जुटाना क्यों शब्दों की
कविता कला और संयम है
कलम उठाना सुमन सोचकर
बदल रहा हरपल आलम है
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