अगर हो पल पल का सम्मान,
तो बनता जीवन इक वरदान।
करो फिर चाहे लाख बखान,
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
मिले रस्ते में शायद फूल,
जहाँ अक्सर मिलते हैं धूल।
सदा मौसम किसका अनुकूल,
मगर संघर्ष करे इन्सान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
कहीं पर चाँद, कहीं पर रवि,
बनो श्रोता, कहीं पर कवि।
तुम्हारी वैसी होगी छवि,
तुम्हारा कर्म, तेरी पहचान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
कभी खुशियाँ, कभी उलझन,
है कारण क्या, करो मंथन।
तभी सम्भव है मिले सुमन,
लुटाए खुशबू और मुस्कान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
तो बनता जीवन इक वरदान।
करो फिर चाहे लाख बखान,
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
मिले रस्ते में शायद फूल,
जहाँ अक्सर मिलते हैं धूल।
सदा मौसम किसका अनुकूल,
मगर संघर्ष करे इन्सान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
कहीं पर चाँद, कहीं पर रवि,
बनो श्रोता, कहीं पर कवि।
तुम्हारी वैसी होगी छवि,
तुम्हारा कर्म, तेरी पहचान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
कभी खुशियाँ, कभी उलझन,
है कारण क्या, करो मंथन।
तभी सम्भव है मिले सुमन,
लुटाए खुशबू और मुस्कान।
रहेगी बात अधूरी। कभी होगी ना पूरी।।
1 comment:
बात पूरी होती कहाँ है!
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