आपसी मेल का आचरण, नहीं शोषण नहीं हो दमन|
कर यकीं ऐ मेरे साथियों, तभी खिलता रहे ये चमन|
मातृभूमि! तुझे है नमन||
कई भाषा यहाँ वेष है, गाँव, कस्बों का ये देश है|
यूँ तो बढ़ते रहे हम सदा, गाँव में आज भी क्लेश है|
हाल बदलो मेरे साथियों, मिलके करना पड़ेगा जतन|
मातृभूमि! तुझे है नमन||
लोग सीमा पे मरते रहे, कुछ तो संसद में लड़ते रहे।
कुछ तड़पते हुए लोग को, देखकर बस गुजरते रहे।
जो भी कुर्बान हैं देश पर, उनको प्रेषित है श्रद्धा सुमन।
मातृभूमि! तुझे है नमन।।
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