जिसको भी दिल यहाँ लगाया है
उसने तब से मुझे सताया है
गैर से गैर मिले अपनों सा
और अपना लगे पराया है
शाख से टूट के जुदा जो हुआ
उसने खोया अधिक न पाया है
घर बचाना तो मिलके जी प्यारे
यूँ तो सबने मकां बनाया है
उसकी दुश्वारियां सुमन सुनना
जिसने भी घर यहाँ बसाया है
उसने तब से मुझे सताया है
गैर से गैर मिले अपनों सा
और अपना लगे पराया है
शाख से टूट के जुदा जो हुआ
उसने खोया अधिक न पाया है
घर बचाना तो मिलके जी प्यारे
यूँ तो सबने मकां बनाया है
उसकी दुश्वारियां सुमन सुनना
जिसने भी घर यहाँ बसाया है
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