Tuesday, March 19, 2019

कहाँ गगन में चले गए

सोच नहीं पाए हम जितना
तुमसे प्यार मिला था उतना
छोड़ सभी को कहाँ अचानक किस निर्जन में चले गए?
सूख गए आँखों के आँसू उतर के मन में चले गए।।

कोशिश थी पूरा करने की जो जो तुमसे काम मिला
बड़े फक्र से दुहराया कि भाई हमको राम मिला
फिर किस कारण छोड़ धरा को कहाँ गगन में चले गए?
सूख गए आँखों के ----

प्रेम, दया, करुणा की मूरत बन के जग को दिखलाया
हर उल्टे परिवेश में तुमने लड़ना हमको सिखलाया
खोज रहे स्वारथ से तुमको कौन भवन में चले गए?
सूख गए आँखों के -------

एक दिन तो जाना है सबको चले गए कोई बात नहीं
तुझे भुलाना क्या मुमकिन है वैसे भी जज्बात नहीं
बिखराने कर्मों की खुशबू सभी सुमन में चले गए
सूख गए आँखों के -----

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!