Thursday, October 10, 2019

देख जेल में संत समागम

पहले   जो   दरबारी   बनते 
लोग  वही   सरकारी   बनते 

कहते सेवा - भाव सियासत 
पर  सच  में  व्यापारी  बनते 

मैनेजेबुल   सब   कुछ  यूँ  है
डिग्री  बिन  अधिकारी बनते 

उलट - पुलट कानूनी चाबुक 
जनता  की   लाचारी   बनते 

मंत्री और विधायक तक भी
कितने    अत्याचारी    बनते

देख  जेल  में  संत  समागम
पहले - पहल  पुजारी  बनते 

देखा अचरज  एक  सुमन ये 
पुरुष-पुलिस को नारी बनते 

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