ऑंखें तुमसे जब मिलतीं हैं, मैं खुद में खो जाता हूँ
तेरे दिल की तुम जानो पर, मैं तेरा हो जाता हूँ
तड़प - तड़प के रहना पड़ता, तेरा मौन पुकारे जब
हाय बेबसी अपने दिल में, आँसू को बो जाता हूँ
बिन बोले भी प्यार तुम्हारा, गहरा दिल में यूँ उतरा
चाहत मेरी तू मंजिल बन, मैं मंजिल को जाता हूँ
कैसी ये दुनियादारी जो, मिलके भी मिलना मुश्किल
आँखों - आँखों में बतियाकर, चुपके से रो जाता हूँ
बहुत अधूरा सा लगता है, सुमन तुम्हारे बिन जीना
बना बोझ सा अपना जीवन, हंस करके ढो जाता हूँ
1 comment:
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ नवंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
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