हंसा! मत जइयो उत देश।
जित राजा-जन हौ रंगीलो, धरो फकीरी वेष।।
हंसा! मत जइयो -----
नारी पूजन नवरात्रि में, होवत जहाँ विशेष।
उत नारी के शोषण होवत, दैहिक देवत क्लेश।।
हंसा! मत जइयो -----
बोलत सब नारी के महिमा, चरचा होत विदेश।
दूभर नारी जीवन अइसे, बिगड़े नित परिवेश।।
हंसा! मत जइयो -----
सृजन-मूल नारी सब माने, होवत शक्ति अशेष।
सोच सुमन नारी बिनु कइसे, जगत बचे ई शेष??
हंसा! मत जइयो -----
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