भाषण, विज्ञापन में कहते, भारत मालामाल हुआ
हुई झूठ की इतनी बारिश, झूठ शर्म से लाल हुआ
जमाखोर से ज्यादा अब तो, लूट मची है सरकारी
सच को ढंकते यूँ झूठों से, बुरा सत्य का हाल हुआ
लोकतंत्र के मंदिर तक में, झूठ निडरता से बोले
आमलोग को सुखी बताते, जो सचमुच कंगाल हुआ
तरसे जीवन भर रोटी को, मरने पर भी मान नहीं
झूठ मढ़े पुरखों पे कहकर, ऐसा सालों-साल हुआ
जिसने झूठे ख्वाब दिखाए, वो शोषण अब करे सुमन
पोषण करता जो कुबेर का, जन के लिए कुदाल हुआ
No comments:
Post a Comment