Thursday, May 12, 2022

पर फीकी मुस्कान आजकल

उनकी  देखो  शान आजकल
पर फीकी मुस्कान आजकल

लोग - बाग  अब  हुए  सयाने
ये   लगते   नादान  आजकल

जिसने  झूठी अकड़ दिखायी
उठा  रहे  नुकसान आजकल

घर  के मुखिया अक्सर लागे
अपने घर मेहमान आजकल

सज्जनता की खोल ओढ़कर
घूम   रहे   शैतान   आजकल

घर  में   रहकर   घरवालों  से
घरवाले  अनजान  आजकल

टूटे  -  फ़ूटे   बोल   सुमन  के
खींचे सबका ध्यान आजकल

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