गाँव, शहर हो या जंगल हो
होश भरा अपना पल पल हो
कहते जीत बड़ी वो होती
अगर आज से अच्छा कल हो
वो समाज आगे बढ़ता क्या
लोग जहाँ के विवश, विकल हो
माटी सबकी, देश सभी का
क्यूँ नफरत की यहाँ फसल हो
संविधान से राज चलेगा
भले दलों का जो दलदल हो
है समाज तो हम जी लेते
प्रेम आपसी सदा अचल हो
कुछ भी बाहर नहीं प्रेम से
सुमन इरादा यही अटल हो
1 comment:
शानदार ग़ज़ल
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