चाहे खुद से मलाल रखता हूँ
घर में सबका खयाल रखता हूँ
दूर मुझसे जो, पास आएगा
प्रेम का ऐसा जाल रखता हूँ
भले पद से बड़े वो जितने भी
उनके आगे सवाल रखता हूँ
अपने हिस्से की रोटी बाँटा भी
दिल भी ऐसा विशाल रखता हूँ
भले हंसों सा चल पड़े कौवा
पर सुमन अपनी चाल रखता हूँ
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