देख कभी, चाहे अब देखो
मैं सबमें, मुझमें सब देखो
वही खुदा हैं, चोरों के भी
नित चोरों के करतब देखो
मंदिर मस्जिद में नक्काशी
सुन्दर पत्थर या रब देखो
तन सोता पर साँसें चलतीं
रुक जाए, तन को तब देखो
रोज परख, खुद की सच्चाई
नहीं अभी तो फिर कब देखो?
मुँह मोड़े, जो सच्चाई से
ऑंखें रहतीं डब डब देखो
दर्पण पास सुमन के हरदम
तेरी इच्छा, जब जब देखो
No comments:
Post a Comment