छवि तुम्हारे साथ में, बीते अब दो साल।
तेरे आने से हुआ, सुमन-सदन खुशहाल।।
मुख से बोली जब छवि, दादा पहली बार।
कानों में रस घुल गया, पायल की झंकार।।
तुम नानी के गाँव में, आज सुमन से दूर।
लेकिन दादू के लिए, तुम आँखों का नूर।।
शुक्ल पक्ष के चाँद सा, बढ़ती जा तू रोज।
दादू जैसे सत्य का, जारी रखना खोज।।
पढ़ो, बढ़ो, फूलो-फलो, है आशीष विशेष।
जीवन-पथ पर नित मिले, खुशियाँ तुझे अशेष।।
No comments:
Post a Comment