इक फकीर की गजब फकीरी।
देख लजाती जिसे अमीरी।।
इक फकीर की -----
मंहगा उड़न - खटोला चढ़ते, सबको ऊँचाई से पढ़ते।
क्षण-क्षण में परिधान बदल के, मनमानी किस्मत भी गढ़ते।
बस नफरत पे टिकी वजीरी।
इक फकीर की -----
जहाँ आँख में आँसू लाते, तुरत विरोधी को खा जाते।
रंग बदलने में माहिर यूँ, जिसे देख गिरगिट शरमाते।
घोषित भगवन्, रूप शरीरी।
इक फकीर की -----
शब्द-चित्र में रूप दिखाया, छाँव कहाँ और धूप दिखाया।
अगली पीढ़ी खातिर सोचो, कहाँ सड़क पे कूप दिखाया।
नहीं छूटती सुमन कबीरी।
इक फकीर की -----
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