कहना मुश्किल कब कम होता।।
अपना गम अपनों से बोले,
अपनी उलझन, गांठें खोले।
भीतर ही भीतर कुछ रो कर,
उन्हीं आँसूओं से गम धो ले।
कहीं भरोसा, कुछ सुझाव भी,
जीवन में जो मरहम होता।।
सबके दिल में -----
अपनी गलती कौन देखता,
दूजे के सर दोष फेंकता।
आग किसी के घर की होती,
अपनी रोटी वहीं सेंकता।
तोड़ सभी बन्धन निकले वो,
जिसमें अपना दमखम होता।।
सबके दिल में -----
बाधाओं के पंख कुतरना,
खुद जीवन में रोज संवरना।
यही तरीका इक जीने का,
हर उलझन के पार उतरना।
सुख दुख से संघर्ष सुमन का,
हर दिन बदला मौसम होता।
सबके दिल में -----
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