Tuesday, January 31, 2023

कम से कम खाता जनधन हो

खुला खुला सा घर आँगन हो 
और  पंछी सा नित जीवन हो

मुक्त  गगन उड़ने  की खातिर
नहीं   कहीं   कोई  बन्धन  हो

घटे  वही  जीवन में नित नित 
जो  चाहत  में  अपने  मन हो

फूटी   कौड़ी   पास  नहीं  पर
कम से कम खाता जनधन हो

आती  जाती  दौलत  पर  भी 
नेक  सोच  हरदम  चिन्तन हो

हर  विरोध  से  मिल टकराना 
भूल  आपसी  जो अनबन हो

सुमन  विचारों  के बल उड़ना 
आदम  तुम  हो  या गोधन हो

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