Wednesday, April 12, 2023

तनी हुई संगीन कलम पर

बिजली शिक्षा सड़क चिकित्सा, रोटी पानी पर क्यों चुप्प
सौंप दिया सब जिन हाथों में, अब  नादानी पर क्यों चुप्प

आम - जनों  की  हालत  पतली, जलते  प्रश्न  हजारों  हैं
मुद्दे   से   भटकाने  वाली,  चाल  पुरानी  पर  क्यों  चुप्प

जितने   देश   पड़ोसी   अपने,  मित्र - देश  उनमें  कितने
नफरत  के  नश्तर बाँटे पर, जख्म-निशानी पर क्यों चुप्प

लोकतंत्र  में  "लोक"  विवश  हैं, "तंत्र"  उन्हीं  की मुट्ठी में 
लगुए-भगुए, मंत्री तक  के, गलत-बयानी  पर  क्यों चुप्प

तनी  हुई  संगीन  कलम  पर, सजग - नागरिक  कोने  में 
है कठोर अंकुश खबरों पर, सब  सुल्तानी  पर क्यों चुप्प

शासक   को बेमतलब  लगती,  लोक - भलाई  की  बातें
फिर  विकास  सबके  सँग  कैसे, ऐसे ज्ञानी पर क्यों चुप्प 

कुचलोगे  तुम  सुमन  को  जितना, उतनी खुशबू फैलेगी
टिकना  मुश्किल  हवा बहेगी, अब तूफानी पर क्यों चुप्प

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