Tuesday, September 19, 2023

भारत, इंडिया जो कहो

नाम  बदलते  जा रहे, कहाँ  हुआ कम क्लेश?
भारत, इंडिया  जो कहो, क्या  बदले परिवेश??

विवश मीडिया, तंत्र  सब, अर्थव्यवस्था  ठूठ।
राजा  के  वादे  सभी, अबतक  साबित झूठ।।

कहाँ  गया  कानून  भी, कैसा  हुआ  समाज?
फँसा  दिए  जाते  वही,  ऊँची  जो आवाज।।

जब राजा सचमुच करे, जन जन का सम्मान।
आगे  बढ़ता  देश  वो, अवसर  जहाँ  समान।।

साल  छिहत्तर  हो  रहे, तब  से हम आजाद।
जाति,  धरम   उन्माद  से,  लोकतंत्र  बर्बाद।।

अनपढ़ का लगने लगा, अब तो अर्थ विशेष।
भोगे  उलझन  बोलकर,  नहीं  नौकरी  शेष।।

कान्हा  के  इस  देश  में,  बढ़ा कंस का मान। 
बाँट  रहे  अब  वो  सुमन, धर्म और भगवान।।

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