Tuesday, April 28, 2020

दुश्मन सा बिस्तर लगता है

घर के बाहर डर लगता है
और जेल सा घर लगता है

किसको कौन सहारा देगा
सहमा सा मंजर लगता है

चहल पहल से, दूर जश्न से
सूना गांव, शहर लगता है

आंखों में है नींद मगर क्यों
दुश्मन सा बिस्तर लगता है

बस बीमारी, मौत खबर में
सुनना खबर, जहर लगता है

जीत हमारी निश्चित होगी
हाल अभी जर्जर लगता है

सबके साथ सुमन चल, चाहे
जितना अगर मगर लगता है

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