प्यार का ये अजब नूर है
जो पड़ोसी तलक दूर है
आस जिनसे लगी आपको
वही मदहोश, मगरूर है
बात आका की बस जो सुने
लोग ऐसे जो मजबूर है
चाँद - तारे कहाँ खो गये
भ्रम जुगनू को भरपूर है
हम कहाँ और परिजन कहाँ
ये जमाना बहुत क्रूर है
हाल को है बदलना अगर
यार लड़ने का दस्तूर है
जहाँ उल्टी हवा है सुमन
वहीं जाना भी मंजूर है
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