कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
अन्नदाता हौ आज सड़क पे
घर में राजा सूतल हो
कौन ठगवा -----
कितनो जन के शीतलहर में
जग से नाता छूटल हो
कौन ठगवा -----
जे विरोध करिहैं राजा के
ओके दम भर कूटल हो
कौन ठगवा -----
दरबारी नित भेद बढ़ावे
भाईचारा टूटल हो
कौन ठगवा -----
शांत सुमन ई देश में कैसे
धू धू धुआं ऊठल हो
कौन ठगवा -----
नोट -पूर्वज #कबीर से माफी की अपील और उन्हें प्रणाम
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