जिसकी खातिर सब पैसा है
वो क्या जाने जग कैसा है
दुनिया में मौजूद सभी कुछ
मिलता जैसे को तैसा है
प्यार जरूरत सबकी होती
जीत जगत को जब ऐसा है
सब अच्छे हैं एक बुरा मैं
यही सोच जीने जैसा है
कहने वाले कहते अक्सर
सुमन नहीं बिल्कुल वैसा है
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