मेरी यही इबादत है
सच कहने की आदत है
मुश्किल होता सच सहना तो
कहते इसे बगावत है
बिना बुलाये घर आ जाते
कितनी बड़ी इनायत है
कभी जरूरत पर ना आते
इसकी मुझे शिकायत है
मीठी बातों में भरमाना
इनकी यही शराफत है
दर्पण दिखलाया तो कहते
देखो किया शरारत है
दर्पण झूठा कभी न बोले
बहुत बड़ी ये आफत है
ऐसा सच स्वीकार किया तो
मेरे दिल में राहत है।
रोज विचारों से टकराकर
झुका है जो भी आहत है
सत्य बने आभूषण जग का
यही सुमन की चाहत है
सच कहने की आदत है
मुश्किल होता सच सहना तो
कहते इसे बगावत है
बिना बुलाये घर आ जाते
कितनी बड़ी इनायत है
कभी जरूरत पर ना आते
इसकी मुझे शिकायत है
मीठी बातों में भरमाना
इनकी यही शराफत है
दर्पण दिखलाया तो कहते
देखो किया शरारत है
दर्पण झूठा कभी न बोले
बहुत बड़ी ये आफत है
ऐसा सच स्वीकार किया तो
मेरे दिल में राहत है।
रोज विचारों से टकराकर
झुका है जो भी आहत है
सत्य बने आभूषण जग का
यही सुमन की चाहत है
16 comments:
सुन्दर रचना
रोज विचारों से टकराकर।
झुका है जो भी आहत है।।
सत्य बने आभूषण जग का।
यही सुमन की चाहत है।।
बहुत खूब
bahut hi sunder gazal
रोज विचारों से टकराकर।
झुका है जो भी आहत है।।
सत्य बने आभूषण जग का।
यही सुमन की चाहत है
बहुत ही खूबसूरत छोटे बहर में लिखी हुवे ग़ज़ल............
सारे शेर लाजवाब हैं श्यामल जी
झूठ कभी "दर्पण" न बोले।
बहुत बड़ी ये आफत है।।
apne naam ki sarthatkata dekh prasannata hui...
dhanyvaad...
choti behar main likhna mushkil hota hai, is behar ko nibhane ke liye badhai...
khaskar ye line:
बिना बुलाये घर आ जाते।
कितनी बड़ी इनायत है।
कभी जरूरत पर ना आते।
इसकी मुझे शिकायत है।।
रोज विचारों से टकराकर।
झुका है जो भी आहत है।।..bahut khuub
aisee chahat se hee bacegee yah dunia. prerak aur prashansniye
kam se kam shabdon men , behatareen rachna.
आप सबके प्रोत्साहन का हार्दिक स्वागत करते हुए कहना चाहता हूँ कि यही आगे भी मेरे भीतर सतत नयी उर्जा का संचार करता रहेगा।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
"मुश्किल होता सच सहना तो।
कहते इसे बगावत है।।" और
"रोज विचारों से टकराकर।
झुका है जो भी आहत है।।" पंक्तियों ने तो मुग्ध कर दिया . छोटे-छोटे वाक्य, बड़ा-बड़ा अर्थ . धन्यवाद .
बहुत सुन्दर रचना है।बहुत सुन्दर अभिलाषा लेकर चल रहे हैं।बधाई।
मुश्किल होता सच सहना तो।
कहते इसे बगावत है।।
नमस्कार
आपकी ये आदत अच्छी लगी
आप से अनुरोध है कि अपनी रचनाओ के एक प्रती हमारे मंच में भी दे दे
आज से मंच आप के लिए खुल गया है
manch ka pata
http://manchsamay.blogspot.com/
welcome to write
रोज विचारों से टकराकर।
झुका है जो भी आहत है।।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
सत्य बने आभूषण जग का।
यही सुमन की चाहत है।।
sachmuch bahut achhi soch hai
kash hum ise saakaar kar saken
बिना बुलाये घर आ जाते
कितनी बड़ी इनायत है
सच लिखने की बात अच्छी लगी
आपके परिवार एहसान न भूलूंगी कभी
Post a Comment