मुझको वर दे तू भगवान
सबके संग मेरा उत्थान
अगर विषमता मिटा सके न
मिट जाये तेरी पहचान
सबको रोटी देने वाले
भूखे मरते रोज किसान
मरे सिपाही नित्य समर में
कैप्टेन का होता गुणगान
जिसे कैद में होना था वे
पाते रहते हैं सम्मान
नीति नियम पर चलनेवाले
समझे जाते अब नादान
सरकारें चलतीं हैं ऐसी
रहती है जनता हलकान
बेच रही है पेट की खातिर
भूखी जनता अब ईमान
तुमने ही संसार बनाया
रोता क्यों है सकल जहान
सृष्टि सजाओ तुम जल्दी से
सुमन की लौटे फिर मुस्कान
सबके संग मेरा उत्थान
अगर विषमता मिटा सके न
मिट जाये तेरी पहचान
सबको रोटी देने वाले
भूखे मरते रोज किसान
मरे सिपाही नित्य समर में
कैप्टेन का होता गुणगान
जिसे कैद में होना था वे
पाते रहते हैं सम्मान
नीति नियम पर चलनेवाले
समझे जाते अब नादान
सरकारें चलतीं हैं ऐसी
रहती है जनता हलकान
बेच रही है पेट की खातिर
भूखी जनता अब ईमान
तुमने ही संसार बनाया
रोता क्यों है सकल जहान
सृष्टि सजाओ तुम जल्दी से
सुमन की लौटे फिर मुस्कान
21 comments:
मुझको वर दे तू भगवान,
मेरा कर दे तू उत्थान।
वोट माँगने तेरे घर में,
आयेंगे पाजी शैतान।।
नोटों के बदले में अपना,
नही बेचना तू ईमान।
लोकतन्त्र के मक्कारों को,
देना मत कोई ईनाम।।
श्यामल सुमन जी
नमस्कार
आज आपके ब्लॉग पर पहुँच कर आप की कुछ रचनायें पढीं. बहुत ही प्रसन्नता हुई.
अभी अभी आपको सुन्दर रचना " प्रार्थना " पढ़ी. कितने सहज ढंग से आपने एक साथ सब कुछ ईश्वर से माँग भी लिया और अपनी शिकायत भी कर दी.
- विजय
बहुत ही सही प्रार्थना.......
sunder aur samyik prarthna, suman ji badhai. kabhi bhoole bhatke mere blog par bhi tashreef layen,
आप सबका समर्थन मेरे कलम की ताकत। हार्दिक आभार। स्नेह बनाये रखें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वोट माँगने तेरे घर में,
आयेंगे पाजी शैतान।।
सुन्दर रचना.
भाई महेंद्र मिश्र जी !
आपने श्री श्याम लाल सुमन जी
को नहीं टिपियाया है।
बल्कि मेरी टिप्पणी को ही टिपिया दिया है।
आपको अपनी ओर से बधाई देता हूँ.।
भाई मयंक जी,
मैं श्याम लाल सुमन नहीं बल्कि श्यामल सुमन हूँ। फिर भी आपका आगमन अच्छा लगा।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपकी प्रार्थना में हम भी सम्मिलित हैं।
इक़बाल की 'शिकवा' की याद ताज़ा कर दी।
बधाई।
shyamal ji ,
aapne bahut acchi rachna likhi hai , padhkar bahut khushi hui . bahut hi saarthak kavita ..
dil se badhai..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com
sahi likha hai aaj kal yahi halaat hain charon taraf
मुझको वर दे तू भगवान,
मेरा कर दे तू उत्थान।
वोट माँगने तेरे घर में,
आयेंगे पाजी शैतान।।
नोटों के बदले में अपना,
नही बेचना तू ईमान।
Shyamal ji
बहुत सुन्दर रचना है..........ये तीनों शेर लाजवाब हैं ..........
बेच रही है पेट की खातिर।
भूखी जनता अब ईमान।।
आपके ब्लॉग पर पहुँच कर बहुत ही प्रसन्नता हुई.
नीति नियम पर चलनेवाले।
समझे जाते अब नादान।।
सरकारें चलतीं हैं ऐसी।
रहती है जनता हलकान।।
प्रार्थना हो तो ऐसी
मन को गहराई तक छू गई आपकी रचना !!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
आहांक ई रचना पढी मोन तृप भेल.
sarbhoumikta ko samarpit kavita
bhai majaa aa gaya
bahut khuub
fir suraj ko diya kikhane ka kaam kar raha hun
chhama Chahta hun par apne ko rok na saka
मुझको वर दे तू भगवान
सबके संग मेरा उत्थान
BAHOOT STEEK
फिर आपने लिखा
नीति नियम पर चलनेवाले
समझे जाते अब नादान
घर के संस्कारों पर चलते रहे मार खाते रहे
नीति नियम पर चलनेवाले
समझे जाते अब नादान
बहुत सुंदर
नीति पर चलते रहना
सुंदर गीत गजल लिखते रहना
कलम की स्याही नहीं सूखने देना
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