अलग थलग दुनियाँ से फिर भी इस दुनियाँ में रहता हूँ
अनुभव से उपजे चिन्तन की नव-धारा संग बहता हूँ
पद पैसा प्रभुता की हस्ती प्रायः सब स्वीकार किया
अवसर पे ऐसी हस्ती को बेखटके सच कहता हूँ
अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते
ऊपर से हँस भी लेता पर दर्द हृदय में सहता हूँ
इन्डिया और भारत का अन्तर मिट जाये तो बात बने
दूरी कम करने की अपनी कोशिश करता रहता हूँ
जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ
बना खंडहर भाव सुमन का भाव-जगत में ढ़हता हूँ
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30 comments:
अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते।
ऊपर से हँस भी लेता पर दर्द हृदय में सहता हूँ।।
बहुत सुन्दर आपकी नव-धारा मे बह गयी बधाई
अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकारें श्यामल जी
इन्डिया और भारत का अन्तर मिट जाये तो बात बने।
yahi antar to hame apne bharat ko hamse door karta hai.
bahu achchhi rachna
shyamal jee
khubsoorat rachana bani hai aapke kalam se.
badhai
अलग थलग दुनियाँ से फिर भी इस दुनियाँ में रहता हूँ।
अनुभव से उपजे चिन्तन की नव-धारा संग बहता हूँ।।
waah bahut badhiya
बहुत लाजवाब रचना. बधाई.
रामराम.
"जश्न मनाया चोरों ने जब]
थाने का निर्माण हुआ।
बना खंडहर भाव सुमन का,
भाव-जगत में ढ़हता हूँ।।"
लाजवाब रचना।
बधाई।
रचना को पढ़कर,
अनायास ही ताऊ के शब्द
मुँह से निकल पड़े।
वाह....लाजवाब।
आदरणीय श्यामल जी..मानव मन के स्वाभाविक मनोविज्ञान को दर्शाती सुन्दर रचना..आपको पढ़ना हमेशा ही सुखद लगता है..
श्यामल सुमन जी
' भावना पढ़ी .
बहुत अच्छी लगी
'''' इन्डिया और भारत का अन्तर मिट जाये तो बात बने। '''''
आपका ये देश प्रेम जरूर रंग लाएगा .
- विजय
इन्डिया और भारत का अन्तर मिट जाये तो बात बने।
दूरी कम करने की अपनी कोशिश करता रहता हूँ।।
itna zyadaa mazaa aa jaata hai aapko padhke kabi kabi...shabdo ka chayan ekdum naveen hai,apne ek alag style banata huaa...surely bahut bahut achha :)
जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ।
बना खंडहर भाव सुमन का भाव-जगत में ढ़हता हूँ।।
क्या बात है.....बधाई.
"जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ,
बना खंडहर भाव सुमन का भाव-जगत में ढ़हता हूँ।
भावनाओं से सुसज्जित रचना 'भावना' के लिये बधाई
बहुत ही सुन्दर भाव हैं। गजल के कई शेर सीधे दिल में उतर जाने वाले हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुमन जी,बहुत बढिया रचना है बधाई स्वीकारें।
अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते।
ऊपर से हँस भी लेता पर दर्द हृदय में सहता हूँ।।
india aur bharat ka antar mit jaaye............
HAY HAY ...........MAAR DALA.........
badhaai__
प्रत्येक दोहे पर दादों और आपके लिए दुआओं की झड़ी लग गयी.........
अद्भुद लिखा है आपने ...अद्वितीय...
जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ।
बना खंडहर भाव सुमन का भाव-जगत में ढ़हता हूँ।।
वाह जबाब नही जी, बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद
bahut sundar....
इन्डिया और भारत का अन्तर मिट जाये तो बात बने।
बस यही तो लाख टके की बात कह दी आपने
उम्दा ...
अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते।
ऊपर से हँस भी लेता पर दर्द हृदय में सहता हूँ।।
bahut sunder suman ji. sabhi sher lajawaab. badhai sweekaren.
जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ। nice
बहुत खूब !!
nice one..
last 4 lines are really very nice.. :)
जश्न मनाया चोरों ने जब थाने का निर्माण हुआ।
बना खंडहर भाव सुमन का भाव-जगत में ढ़हता हूँ।।
aap to bes aap hain....... jawab nahi
लाजवाब रचना
पड़ गए मेरे शब्द कम हैं, आपको लेकिन नमन है.
यथार्थ से उपजी है कविता, सत्य-चिंतन अनुपम है.
साभार
हमसफ़र यादों का.......
इस रचना पर मिला समर्थन हृदय से है आभार।
बना रहे सौभाग्य सतत और मिले सभी का प्यार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
वाह.सुमन जी अच्छी रचना है............बधाई
umda rachna. bhav bahut khubsurat hain.
bahut badhiya
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