Monday, June 15, 2009

जुदाई

गीत जिनके प्यार का भर ज़िन्दगी गाता रहा
बेरुख़ी से कह दिया अब न कोई नाता रहा

हर जुदाई और मिलन में थीं आँखें आपकी
क्या ख़ता ऐसी हुई यह सोच घबराता रहा

जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा

भूल ख़ुद की भूल से गर आइने में देखते
पल न ये आते कभी यूँ ख़ुद को समझाता रहा

आपको अमृत मिले पीता ज़हर हूँ इसलिए
कितने अवसर अब तलक आता रहा जाता रहा

लुट गयी ख़ुशबू सुमन कि जब जुदाई सामने
बात ख़ुशियों की करें क्या ग़म पे ग़म खाता रहा

27 comments:

M Verma said...

गीत जिनके प्यार का भर ज़िन्दगी गाता रहा।
बेरुख़ी से कह दिया अब न कोई नाता रहा॥
berookhi ki yah had 'wakai had kar di'
bahut khoob.

Yogesh Verma Swapn said...

लुट गयी ख़ुशबू सुमन कि जब जुदाई सामने।
बात ख़ुशियों की करें क्या ग़म पे ग़म खाता रहा॥

suman ji , bahut hi khoobsurat rachna ke liye dheron badhai sweekarem\n.

डॉ. मनोज मिश्र said...

आपको अमृत मिले पिया ज़हर हूँ इसलिए।
कितने अवसर अब तलक आता रहा जाता रहा॥
बहुत सुंदर .

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब रचना.

रामराम.

मुकेश कुमार तिवारी said...

श्यामल जी,

जुदाई, शब्दशः ऐसी ही होती है। बड़ी शिद्दत से उकेरा है आपने इस गज़ल के माध्यम से। श्री पंकज सुबीर साहब और हिन्द-युग्म का आभार कि मैं गज़ल को पहचानना सीख गया।

आपकी सादगी और सीधे-सादे शब्द रचना का संप्रेषण पाठकों तक बखूबी पहुँचा देते हैं।

" जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी।
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा॥ "

बधाई,

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

Vinay said...

दर्द की महिमा अनूठी, और यह छलावा बहुत से भुलावे देता है,

स्वप्न मञ्जूषा said...

लुट गयी ख़ुशबू सुमन कि जब जुदाई सामने।
बात ख़ुशियों की करें क्या ग़म पे ग़म खाता रहा॥

bahut hi sundar rachna,
khoobsurat ....
man khush ho gaya pad kar
hriday se dhanyawaad


http://swapnamanjusha.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

बेहतरीन रचना..सच कहें तो आनन्द आ गया.

Science Bloggers Association said...

वैसे तो पूरी गजल ही शानदार है, पर मतला तो लाजवाब है। बधाई।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

अजय कुमार झा said...

जिन्दगी का सौदा था ही ऐसा.
कोई खोता रहा तो कोई पाता रहा.

जिन्दगी से इतनी की मुहब्बत ,पर क्यूँ,
मौत से अंतिम नाता रहा...

श्यामल जी आपको पढ़ना अचा लगता है..आज भी लगा.

ओम आर्य said...

एक पंक्ति के बारे मे कुछ कहने से अच्छा है कि यह कहा जाय कि पूरी कविता ही सीप के मोती है.....आपकी रचनाये प्रभावित करते है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

लाजवाब रचना।
बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

गीत जिनके प्यार का भर ज़िन्दगी गाता रहा।
बेरुख़ी से कह दिया अब न कोई नाता रहा

सच कहा सुमन जी........... लोग बेवफा ही होते हैं...... प्यार का सिला ऐसा ही मिलता है

Anil Pusadkar said...

सुन्दर रचना।

gazalkbahane said...

जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी।
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा॥
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई
श्याम

रश्मि प्रभा... said...

जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी।
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा॥
.....waah

karuna said...

आपको अम्रत मिले पिया ज़हर हूँ इसलिए ,
कितने अवसर अब तलक आता जाता रहा |
सच्चा प्रेम करने वाले इसी तरह दूसरों को खुशियाँ बांटते हैं बहुत सुन्दर रचना है |

Prem Farukhabadi said...

गीत जिनके प्यार का भर ज़िन्दगी गाता रहा।
बेरुख़ी से कह दिया अब न कोई नाता रहा॥

रंजू भाटिया said...

जो थी चाहत आपकी मेरी इबादत बन गयी।
हर इशारा आपका मुझको सदा भाता रहा॥

बहुत सुन्दर लिखा है आपने बढ़िया लगी यह शुक्रिया

शेफाली पाण्डे said...

आपको अमृत मिले पिया ज़हर हूँ इसलिए।
कितने अवसर अब तलक आता रहा जाता रहा॥
bahut sundar rachna....

श्यामल सुमन said...

इस भीषण गर्मी में आप सबके स्नेह-बर्षा से मैं अभिभूत हूँ। सबकी भावनाओं को सादर नमन।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

राज भाटिय़ा said...

गीत जिनके प्यार का भर ज़िन्दगी गाता रहा।
बेरुख़ी से कह दिया अब न कोई नाता रहा॥
तारीफ़ के शवद भी कम है आप की इस सुंदर ओर भावूक रचना के सामने, बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद

RAJ SINH said...

......गम पे गम खाता रहा .हर शेर खुद में मुकम्मल .खूब !

...... !!

प्रिया said...

bahut raas aai ye gazal ...specially these lines
"भूल ख़ुद की भूल से गर आइने में देखते।
पल न ये आत कभी यूँ ख़ुद को समझाता रहा॥"

रंजना said...

Soch rahi hun is rachna ko aapke swar me sunna kitna aanand dayi hoga.....

Bahut hi sundar rachna jo manobhoomi ko chhoo jati hai..

Aabhar.

निर्मला कपिला said...

"भूल ख़ुद की भूल से गर आइने में देखते।
पल न ये आत कभी यूँ ख़ुद को समझाता रहा॥
बहुत सुन्दर "भूल ख़ुद की भूल से गर आइने में देखते।
पल न ये आत कभी यूँ ख़ुद को समझाता रहा॥"
लाजवाब आभार्

निर्झर'नीर said...

khoobsurat bahot khoobsurat.
suman ji aajkal kuch vyast hai isliye rachna tak der se pohcha hun ..laajavab

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