वतन से प्यार मुझको भी वतन के गीत गाता हूँ
नये निर्माण की खातिर पसीना भी बहाता हूँ
जमीं पर आयी आफत का हवा में उड़ के सर्वेक्षण,
मिले भाषण में जब राहत खरी खोटी सुनाता हूँ
तहे दिल से तमन्ना है तिरंगा के तरानों का
सभी लोगों को मिल पाते नये अवसर उड़ानों का
मगर अफसोस कितने घर में चूल्हे भी नहीं जलते,
वतन सबका बराबर है नहीं बस कुछ घरानों का
जहाँ पर देश की बातें सुजन करते हैं वो संसद
विरोधों में भी शिष्टाचार की पहचान है संसद
कई दशकों के अनुभव से क्या हमने ये नहीं सीखा,
अशिष्टों की लड़ाई का, अखाडा बन गया संसद
हमारी भिन्नता में एकता का मूल है भारत
समन्दर में पहाड़ों में है बसता गाँव में भारत
मगर मशहूर शहरों की खबर मिलती सदा हमको,
भला हम कब ये समझेंगे कि बस दिल्ली नहीं भारत
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा
नये निर्माण की खातिर पसीना भी बहाता हूँ
जमीं पर आयी आफत का हवा में उड़ के सर्वेक्षण,
मिले भाषण में जब राहत खरी खोटी सुनाता हूँ
तहे दिल से तमन्ना है तिरंगा के तरानों का
सभी लोगों को मिल पाते नये अवसर उड़ानों का
मगर अफसोस कितने घर में चूल्हे भी नहीं जलते,
वतन सबका बराबर है नहीं बस कुछ घरानों का
जहाँ पर देश की बातें सुजन करते हैं वो संसद
विरोधों में भी शिष्टाचार की पहचान है संसद
कई दशकों के अनुभव से क्या हमने ये नहीं सीखा,
अशिष्टों की लड़ाई का, अखाडा बन गया संसद
हमारी भिन्नता में एकता का मूल है भारत
समन्दर में पहाड़ों में है बसता गाँव में भारत
मगर मशहूर शहरों की खबर मिलती सदा हमको,
भला हम कब ये समझेंगे कि बस दिल्ली नहीं भारत
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा
30 comments:
aapki rachna ko naman mera.
वतन को नमन. मनोरम रचना .
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा।।
मेरा भी नमन
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा।
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा।
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा।।
वीरों के साथ साथ आपकी कलम को भी नमन जो इतनी अच्छी देश भक्ति की कविता लिखती है बधाई
वाह ! देश भक्ति से परिपूर्ण रचना
अच्छे ज़ज़्बात और पैनी द्रिष्टि की रचना . अच्छी लगी.
सुमनजी,
सुन्दर देशप्रेम की कविता, आपके अपने तेवर के साथ ! भावों का शानदार संप्रेषण ! 'अशिष्टों की लडाई का अखाडा बन गया संसद...' इस करारे व्यंग्य से आज की राजनितिक दशा का स्पष्ट चित्र प्रकट हुआ है. बधाई !!
namaskaar shyamal ji mera prnaam swikaar kare aankhe bhar jaati hai aur deel aakrosh se bhar jaata hai such me kitni sachchaayi se aap ne
aaj ke bharat ki tasveer rakhi hai
mai nat mastak hun
मगर अफसोस कितने घर में चूल्हे भी नहीं जलते,
वतन सबका बराबर है नहीं बस कुछ घरानों का।।
mera prnaam swikaar kare
shandar our jaandar jajbaat hai aapke......badhaaee
बहुत अच्छे .
वाह, देश भक्ति से परिपूर्ण रचना
नतमस्तक हूँ महाशय......
साभार
हमसफ़र यादों का.......
देश प्रेम की भावना के साथ ही वर्तमान राजनीती की पोल खोलती सुन्दर रचना ! श्यामल जी, आप हमारे ब्लोगर पहचान पहेली में भी प्रगट होने का कष्ट करें !
बहुत बढ़िया रचना...
देश प्रेम से ओत-प्रोत. मेरा भी नमन मेरे राष्ट्र को..
आप सबके प्यार और समर्थन के प्रति श्यामल सुमन नतमस्तक है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
देश के लिए प्रेमभाव रखने वालों को हमारा नमन । अच्छी रचना
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा।।
Bahut badhiya hai Bhai.
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा।
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा।
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा।।
बहुत सुन्दर।
बधाई।
jai...
hind !!!!!
Aap ki ye kavita bahut pasand aie....
जहाँ पर देश की बातें सुजन करते हैं वो संसद।
विरोधों में भी शिष्टाचार की पहचान है संसद।
कई दशकों के अनुभव से क्या हमने ये नहीं सीखा,
अशिष्टों की लड़ाई का, अखाडा बन गया संसद।।
kahin wo pyaaz ke aansu kahin pe alpmat hona, badalti hai hamare desh ki sarkaar chutki main,
mera ye desh vande mataram ke geet se jaaga,
utha gandiv jhatke se , uthi talwaar chutki main....
vatan ke sarpatasto ko mera naman
Vande Mataram, Jai Hind....bahut badiya
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा।
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा।
नहीं लगते हैं क्यों मेले शहीदों की चिताओं पर,
सुमन श्रद्धा के हैं अर्पण उन्हें शत शत नमन मेरा।।
.....Marmik abhivyakti.
खूबसूरत एहसास .....
shayamal ji racha achchi lagi.............
deshbhakti ke jazbe se ot-prot kavita..........veeron ko aur aapko hamara naman........badhayi.
shyamal ji , kya kahne aapki kavita ke .. saare ke saare elements hai ji .. bus main aapko sirf naman karna chahunga .. naman
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
Sundar geet.
{ Treasurer-T & S }
प्रजातंत्र में सब बराबर हैं। कुछ औरों से ज्यादा बराबर हैं! :)
वतन से प्यार मुझको भी वतन के गीत गाता हूँ।
नये निर्माण की खातिर पसीना भी बहाता हूँ।
जमीं पर आयी आफत का हवा में उड़ के सर्वेक्षण,
मिले भाषण में जब राहत खरी खोटी सुनाता हूँ।।
.........जय हिंद ........
नमन मेरा है वीरों को चमन को भी नमन मेरा।
सभी प्रहरी जो सीमा पर है उनको भी नमन मेरा।
VATAN KE PREM MEIN RACHI LAJAWAAB HAI RACHNA...NAMAN HAI
नमन मेरा है भारत को
बेहद ही खूबसूरत रचना .......
मन के भावों को बेहतरीन तरीके से कागज़ पे उतारा है.......
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