सीख सिखाना काम सरल है, करके दिखाओ तो सब जाने
बारी अपनी है आती जब, लगते हैं वे पीठ दिखाने
जीवन-मूल्यों की हालत अब, उपवन की पतझड़ सी लगती
स्वर्ग-नर्क का भ्रम ऐसा कि, जी लेते बस इसी बहाने
नहीं समस्या धर्म जगत में, उपदेशक है जड़ उलझन की
धर्म तो है कर्तव्य आज का, पर गाते वे राग पुराने
वृथा न्याय की बातें हैं नित, सजती अर्थी नैतिकता की
पहले घाव हृदय में देता, फिर आता उसको सहलाने
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने
दीप ज्ञान का जलना मुश्किल, मँहगी शिक्षा के इस युग में
वे बच्चे कैसे पढ सकते, निकले हैं जो भूख मिटाने
टूट रहे हैं डोर प्रेम के, घटी चाँद की शीतलता भी
देर हो रही कब जागोगे, सुमन लगे हैं अब मुरझाने
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24 comments:
टूट रहे हैं डोर प्रेम के, घटी चाँद की शीतलता भी।
देर हो रही कब जागोगे, सुमन लगे हैं अब मुरझाने।।
भाव जो आत्मा को जगा दे..कविता को बेहतरीन बना देती है.
धन्यवाद.
एक दम यथार्थ का चित्रण किया है।
बहुत सुंदर कविता है। बधाई!
jis vedna se hum rozana do-char hote hain
uska atyant sajeev chitran kar diya aapne
waah !
bahut khoob
बहुत सुंदर कविता है। बधाई
sahi kaha hai apane in chijo se rojana ham rubru hote hai.......sundar rachana
नहीं समस्या धर्म जगत में, उपदेशक है जड़ उलझन की।
धर्म तो है कर्तव्य आज का, पर गाते वे राग पुराने।।
वाह ! भाईसाहब इधर सारी रचनाऎं एक से बढकर एक आ रही हैं.
आज के समाज और देश की ज्वलंत समस्याओं को सामने पेश करती बेहतरीन रचना ,
सच है --कैसे पा सकता है शिक्षा -जो पेट न अपना भर पाए ,
पेट पालने घर वालों का बच्चा जो घर से बाहर आये |
एक से एक उम्दा पंक्तियां....बहुत सुन्दर.
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन।
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने।।
Bahut sunder samayik aur sateek bhee.
पूरी रचना सच का बयान है । बहुत सी प्रेरक बातें भीं समा गयी हैं इसमें । आभार ।
आप सभी स्नेहीजनों के प्रति विनम्र आभार प्रेषित है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
दीप ज्ञान का जलना मुश्किल, मँहगी शिक्षा के इस युग में।
वे बच्चे कैसे पढ सकते, निकले हैं जो भूख मिटाने।।
यथार्थ को चित्रित करती रचना।आपको बहुत-बहुत बधाई।
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन।
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने।।
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हो सकता है पूर्व जन्म के पाप रहे हों। पर यह क्रंदन सुन जो बिना दया-माया के रह सकता है वह भविष्य के लिये पाप कमा रहा है।
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन।
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने।।
दीप ज्ञान का जलना मुश्किल, मँहगी शिक्षा के इस युग में।
वे बच्चे कैसे पढ सकते, निकले हैं जो भूख मिटाने।।
क्या बात कही आपने......वाह !!!!
यथार्थ को इतनी सुन्दरता से आपने अपनी इस रचना में प्रस्तुत किया है की वह पाठक के मन को यह पूर्णतः झकझोर देती है......
बहुत बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी इस रचना के लिए आपका साधुवाद....
सच कहा सुमन जी ........... अक्सर लोग मदद नहीं करते बस कर्म गिनाने लगते हैं पुराने ....... लाजवाब प्रस्तुति है आपकी ..
वृथा न्याय की बातें हैं नित, सजती अर्थी नैतिकता की।
पहले घाव हृदय में देता, फिर आता उसको सहलाने।।
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन।
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने।।
दीप ज्ञान का जलना मुश्किल, मँहगी शिक्षा के इस युग में।
वे बच्चे कैसे पढ सकते, निकले हैं जो भूख मिटाने।।
bahut sundar lagi badhai!!
sahi kaha aapne
जीवन-मूल्यों की हालत
ab patjhad si lagti hai
From sanjay bhaskar
Tata tele services Ltd.
sanjay.kumar940@gmail.com
suman ji, sabhi chhand amoolya, anupam rachna. dheron badhaai.
sammj ko darpan dikhane wali rachna, bilkul yatharth chitran..
aapki rachaaniye hamesha mujhe prabhavit karti hain...
...lekin aapke comment jab padhta hoon (logon ke aur apne blog main) to wo aur bhi prabhivit karta hai,
(ye kisi tippani ki asha ke liye nahi keh raha hoon) !!
:)
This is a genuine comment,
and iven't commented this for any body else's comment)
वृथा न्याय की बातें हैं नित, सजती अर्थी नैतिकता की।
पहले घाव हृदय में देता, फिर आता उसको सहलाने।।
"Likhte bhi ho padhte bhi ho, sunte bhi ho kehte bhi ho,
aise hi rehna tum bhus ye aaya tumko batlaane."
aapki estyle copy karne ki koshish....
haha !!
:)
nice
सुंदर रचना... वाह..
आज की वास्तविकता हो या कल्पना, इसे शब्दों मैं कैसे ढालना है कोई आपसे सीखे |
अद्भुत लेखन शैली है आपकी |
बिलख रही ममता सड़कों पर, आँगन में रोटी का क्रन्दन।
कारण पूछो तो लगते हैं, पूर्व जन्म के पाप गिनाने।
Bhaiya aapki yah kavita bahut hi shaskt kavita hain. ek-ek shbd bol rahe hain...bilkul saamyik aur sateek..yatharth ko hu-b-hu darsha rahe hain..
bahut bahut badhai aur aapki lekhni ko salam..
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